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पारिभाषिक शब्द - कोष * ४४९ *
वस्तु का अलाभ, दुर्भाग्य, दारिद्र्य, दुष्ट विचार, वध, बन्धन, अभियोग और असमाधिरूप दुःखों का जो अनुभव होता है, वह जगत्स्वभाव है; जो वैराग्य और संवेग का उत्पादक है।
जंघाचारण-जंघाचरण-जिसके प्रभाव से साधु पृथ्वी से ४ अंगुल ऊपर आकाश में घुटनों को मोड़े बिना बहुत योजन तक गमन करने में समर्थ हो, वह ऋद्धि (लब्धि) जंघाचारण कहलाती है, उस ऋद्धि से सम्पन्न साधक को जंघाचरण कहते हैं।
जन्म - केवल शुभ कर्म, केवल अशुभ कर्म, माया और शुभाशुभमिश्र कर्म, इनके द्वारा क्रमशः देव, नारक, तिर्यंच और मनुष्यों में जो उत्पत्ति होती है उसका नाम जन्म है। जम्बूद्वीप- मनुष्यलोक के ठीक मध्य में एक लाख योजन विस्तार वाला समान गोल जम्बूद्वीप है।
जरायु - गर्भ में शरीर को आच्छादित करने वाला जो विस्तृत रुधिर और माँस रहता . है, उसे जरायु कहते हैं। जरायु में जो उत्पन्न होते हैं, वे जरायुज कहलाते हैं।
जल्ल (परीषह ) - पसीने के आश्रय से जो धूलि समूह चिपक जाता है, उसका नाम जल्ल है। उसे दूर करने के लिए स्नानादि न करना, मन में ग्लानि न लाना जल्ल - परीषहजय है।
जल्लौषधि प्राप्त - जिस महर्षि के तपोबल से जल्लरूप बाह्य अंगमल औषधित्व को प्राप्त है, अर्थात् उस महाभाग का जल्ल लगाने से रोग नष्ट हो जाता है, वह जल्लौषधि (लब्धि या ऋद्धि) को प्राप्त है, या जल्लोषधि - ऋद्धिधारक है।
जाति-(1) नरकादि गतियों में जिस निर्बाध सदृशता के द्वारा अनेक पदार्थों में एकरूपता होती है, उसे जाति कहते हैं। ऐसी जाति पाँच हैं- एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय | (II) मातृपक्ष से या माता की वंश-शुद्धि से जाति कहलाती है।
जाति-नाम (कर्म) - जिस कर्म के उदय से जीव एकेन्द्रिय आदि जाति में उत्पन्न होता है, उसे जाति- नामकर्म कहते हैं।
'जाति- स्थविर - साठ वर्ष के वृद्ध को जाति स्थविर या वयःस्थविर कहते हैं।
जातिस्मरण (मतिज्ञान का विशिष्ट प्रकार ) - पूर्वजन्म की स्मृति कराने वाला ज्ञान, जिससे जीव को एक भव से लगा कर निरन्तर नौ भवों तक का ज्ञान हो सकता है।
जात्यार्य-क्षत्रियादि उच्चवंशीय मनुष्य ।
1. जितमोह - जो मोह को जीत कर ज्ञायक स्वभाव से अधिक - उससे परिपूर्ण आत्मा का अनुभव करता है, वह साधक जितमोह है।
जितेन्द्रिय - (I) जो इन्द्रियों को जीत कर ज्ञान - स्वभाव से अधिक - तत्स्वरूप आत्मा को जानता है, उसे जितेन्द्रिय कहते हैं । (II) इन्द्रिय-विषयों के प्रति राग-द्वेष न करने वाला ।
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