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जिन सूत्र भाग: 2
उस एक दीये को जलाओ ! उस एक दीये पर सारी शक्ति लगा दो ! उस एक दीये पर सारा जीवन लगा दो ! वह एक दीया जल गया, तो सब मिल गया । वह एक दीया न जला, तो तुम सारे संसार के साम्राज्य को पा लो, तुम भिखमंगे और खाली हाथ ही बिदा होओगे। तुम रिक्त मरोगे ।
अगर भरकर जाना हो, खिलकर जाना हो, फूलकर जाना हो, तो उस एक दीये को जला लो। उसे मैं ध्यान का दीया कहता हूं, महावीर उसे अप्रमाद का दीया कहते हैं। बात एक ही है। बुद्ध उसे सम्यक स्मृति कहते हैं। पतंजलि उसे समाधि कहते हैं । कृष्णमूर्ति उसे 'अवेयरनेस' कहते हैं। होश कहो, सावधानी कहो। कबीर उसे सुरति कहते हैं, स्मृति कहते हैं। जो कहना हो कहो - नाम तुम रख लो - इतना ही ध्यान रहे, दीये में ज्योति हो, फिर नाम कोई भी हो !
इक दीया जला कि जल उठी सुबह इक दीया बुझा कि रात हो गयी।
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आज इतना ही ।
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