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जिन सूत्र भाग : 2
नहीं है।
बुद्धिमान उड़ने के पहले भी जानता है, पंख टूटेंगे। वासनाओं लेकिन सूत्र ने जैसे उसके भीतर कोई सोया तार छेड़ दिया, | के इंद्रधनुष गिरेंगे। सपने उजड़ेंगे। जिंदगी यहां जिंदगी जैसी कोई साज छेड़ दिया। यह भी बीत जाएगा।' ऐसा बोध आते | नहीं है। जो टिकती नहीं, बचती नहीं, सदा नहीं रहती, उसे ही जैसे एक सपना टूट गया। अब वह व्यग्र नहीं, बेचैन नहीं, | जिंदगी क्या कहना? पूरब की परिभाषा यही है कि वही है घबड़ाया हुआ नहीं...कि ठीक है। वह बैठ गया।
सत्य-जो सदा है, सनातन है, शाश्वत है। क्षणभंगर सत्य नहीं संयोग की बात! थोड़ी दूर तक तो, थोड़ी देर तक तो घोड़ों की है, क्षणभंगुर सपना है। टापें सुनाई पड़ती रहीं, फिर टापें बंद हो गईं। शायद सैनिक पूरब और पश्चिम की परिभाषाओं में बड़ा फर्क है। अगर किसी दूसरे रास्ते पर मुड़ गए। घना जंगल है, बीहड़-पहाड़ हैं, | पश्चिम में तुम पूछो, सपना क्या है? सत्य क्या है? तो अलग पक्का उन्हें पता भी नहीं है, कि सम्राट किस तरफ गया है। | व्याख्याएं हैं। पश्चिम कहता है, सपना वह है, जो नहीं है; और धीरे-धीरे घोड़ों की टापें दूर हो गईं।
सत्य वह है, जो है। पूरब कहता है, हैं तो दोनों ही। सपना भी है अंगूठी उसने वापिस पहन ली।
अन्यथा होता कैसे? सत्य भी है। फर्क होने और न होने का नहीं कुछ दिनों बाद फिर दुबारा उसने अपने मित्रों को इकट्ठा कर है, फर्क शाश्वतता का, क्षणभंगुरता का है। लिया। हमला किया, पुनः जीता, फिर अपने सिंहासन पर बैठ | सत्य वह है, जो है, था और होगा। सपना वह है, जो पहले गया। जब सिंहासन पर बैठा तो बड़ा आह्लादित हो रहा था, तभी नहीं था, अभी है, और अभी नहीं हो जाएगा। उसे पनः उस घड़ी की याद आयी। उसने फिर अंगठी खोली, परब और पश्चिम की व्याख्या बड़ी बनियादी रूप से भिन्न हैं। फिर कागज को पढ़ा, फिर मुस्कुराया। वह सारा आह्लाद, विजय इसलिए पश्चिम में जब माया का अनुवाद करते हैं वे, तो सदा: का उल्लास, विजय का दंभ, सब विदा हो गया।
इल्यूजन। वह गलत है अनुवाद। माया का अनुवाद इल्यूजन उसके वजीरों ने पूछा, 'आप बड़े प्रसन्न थे, आप एकदम शांत नहीं है, भ्रम नहीं है। हो गए! क्या हुआ?'
इल्यूजन का अर्थ होता है : जो नहीं है; सिर्फ दिखाई पड़ा। सम्राट ने कहा, यह सूत्र—'यह भी बीत जाएगा।' अब माया का अर्थ होता है, जो है लेकिन क्षणभंगुर है। होने में कोई सभी बीत जाएगा। तो न इस संसार में दुखी होने को कुछ है, न | शक नहीं है, शाश्वतता में शक है। टिकेगा नहीं। लहर की तरह सुखी होने को कुछ है।
आया और गया। यह भी बीत जाएगा। इसको महावीर कहते हैं, अनित्य भावना।
तो जो चीज भी तुम्हें लगती हो, बीत जाएगी, याद रखना। था जिंदगी में मर्ग का खटका लगा हुआ
अगर यह एक सूत्र भी पकड़ में आ जाए तो और क्या चाहिए? उड़ने से पेश्तर भी मेरा रंग जर्द था
तो तुम्हारी पकड़ ढीली होने लगेगी। तुम धीरे-धीरे उन सब जिसको मौत का पता है, वह उड़ने के पहले भी जानता है कि | चीजों से अपने को दूर पाने लगोगे, जो चीजें बीत जाएंगी। क्या पंख टेंगे और गिरूंगा।
अकड़ना! कैसा गर्व! किस बात के लिए इठलाना! सब बीत था जिंदगी में मर्ग का खटका लगा हुआ
जाएगा। यह जवानी बीत जाएगी। जिसके पास बोध है, उसे मौत का खटका प्रतिक्षण लगा है। याद बन-बनके कहानी लौटी हृदय की धक-धक और कोई खबर नहीं लाती। धक-धक मौत | सांस हो-होके बिरानी लौटी का खटका है।
लौटे सब गम जो दिए दुनिया ने यह धक-धक ही बंद होगी एक दिन। यह धक-धक ही पहुंचा मगर न जाकर जवानी लौटी देगी उस जगह, जहां फिर धक-धक न होगी।
यह सब बीत जाएगा। यह जवानी, यह दो दिन की इठलाहट, था जिंदगी में मर्ग का खटका लगा हुआ
यह दो दिन के लिए तितलियों जैसे पंख। ये सब बीत जाएंगे। उड़ने से पेश्तर भी मेरा रंग जर्द था
यह दो दिन की चहल-पहल, फिर गहरा सन्नाटा। फिर मरघट
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