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जिन सूत्र भाग: 2
कहीं ऐसा न हो कि तुम बिना ही खोदे और मान लो, कि हो। दिशा में हम जाते ही नहीं। यह याद बनी रहे। बिना ही उघाड़े भरोसा कर लो कि ठीक है, जब महावीर कहते हैं इसके परिणाम देखो। सोवियत रूस है; राज्य ने मान लिया तो ठीक कहते होंगे।
| कि कोई परमात्मा नहीं है, कोई मोक्ष नहीं। तो इन पचास वर्षों में इतने से काम नहीं चलेगा। इतना याद रखना कि तुम हो, | एक भी व्यक्ति रूस में समाधि को उपलब्ध नहीं हो सका। यह लेकिन अभी जो तुम हो, उसे भी उघाड़ना है। तुम जो हो, अभी तो बड़ा अहित हो गया। हालांकि मैं यह नहीं कहता हूं कि रूस होना है। यह बड़ा विरोधाभासी लगेगा। इसे मैं फिर से दोहरा धार्मिक रहता तो जरूरी था कोई समाधि को उपलब्ध हो जाता। दूं। तुम जो हो, अभी होना है। अभी तुम्हें अपने स्वरूप को लेकिन संभावना थी। बीस करोड़ लोगों का मुल्क है। कोई उघाड़ना है।
बहुत हजारों लोग समाधि को उपलब्ध हो जाते, ऐसा भी नहीं इसलिए धर्म की याद रखना और बोधि की याद रखना कि | है। मगर एकाध तो हो ही सकता था। वह भी नहीं हुआ। घटना घटती है। संबोधि कल्पना नहीं है, कवियों का अगर सारी दुनिया कम्युनिस्ट हो जाए और नास्तिक हो जाए तो कल्पनाजाल नहीं है। घटा है, यथार्थ है। जीवन का परम यथार्थ बुद्ध, महावीर, कृष्ण, पागल सिद्ध हो जाएंगे। है। बुद्ध और महावीर, कृष्ण और कबीर, नानक और दादू यह तो बात ही दूर ही रही कि हम बुद्धत्व को पाने की चेष्टा इनकी याद का और कोई अर्थ नहीं है। इनकी याद का इतना ही | करेंगे, जिनत्व को पाने की चेष्टा करेंगे; अगर हम जिन हो भी अर्थ है कि इस रास्ते पर कुछ लोग परम अवस्था को उपलब्ध हुए जाएंगे घर के भीतर, तो हम बाहर खबर न करेंगे; नहीं तो लोग हैं। ताकि तुम्हें भरोसा बना रहे। वे गवाहियां हैं। वे प्रमाणपत्र पागलखाने ले जाएंगे। हैं। उनके कारण तुम इस संदेह में पूरी तरह डूब न जाओगे कि रूस में यह हो रहा है। जो व्यक्ति भी राज्य की धारणाओं से कहीं ऐसा तो नहीं है कि ऐसा होता ही नहीं है! तो हम अपना | भिन्न बात कहता है, वह करार दे दिया जाता है कि इसका दिमाग व्यर्थ समय करें, व्यर्थ शक्ति करें।
खराब है। उसको तत्क्षण मनोचिकित्सालय ले जाकर इलेक्ट्रिक इन ज्योतिर्मय पुरुषों के कारण तुम अपने अंधेरे को स्वीकार | शाक, इन्सुलिन शाक, दवाइयां पिलाना शुरू कर देते हैं। वह नहीं कर पाते और अपने प्रकाश को तुम कभी-कभी याद करते लाख चिल्लाए। रहते हो। आ ही जाती है याद कहीं न कहीं। इसलिए मस्जिदें अब तुम थोड़ा सोचो, कितना बड़ा अंतर पड़ा है। अच्छा बनीं, मंदिर बने जगत में, गुरुद्वारे बने। वे याददाश्त की जगह किया यहूदियों ने जीसस को सूली तो लगा दी। यह कहा कि यह हैं। जा रहे हो बाजार, रास्ते में मंदिर दिखाई पड़ गया; अगर आदमी गलत है, खतरनाक है। अगर जीसस आज रूस में होते तुममें थोड़ी भी बुद्धि हो तो मंदिर तुम्हें याद करा जाएगा कि | तो सूली न मिलती, किसी पागलखाने में इलेक्ट्रिक शाक बाजार जाओ भला, लेकिन आना मंदिर है। बाजार का चक्कर मिलते, जो कि और भी दुखांत है। क्योंकि सूली तो जीसस को लगाकर आओ, मगर आना मंदिर है। आज नहीं आ सकते नहीं मार पाई, लेकिन पागलखाना तो नष्ट कर देता। भला, लेकिन कल आना जरूर है। कि जीवन की नियति मंदिर जब महावीर कहते हैं, बोधि को स्मरण रखना, भावना करना, में है, दुकान में नहीं है। कि जीवन का परम सौभाग्य राजधानियों तो इसका अर्थ है : बुद्धत्व उपलब्ध हुआ है, बुद्ध हुए हैं, जिन में नहीं है। कि जीवन का परम सौभाग्य ध्यान में है; हुए हैं। आज भी हो सकते हैं, कल भी होते रहेंगे। यह हमारा महत्वाकाक्षा में नहीं हैं, हिंसा में नहीं है, परिग्रह में नहीं है कि | स्वरूप-सिद्ध अधिकार है। जो भी हिम्मत करेगा, जो भी दावा ध्यान, कि धर्म, कि बोधि।
करेगा, उसको मिलकर रहेगा। अगर हम न पाते हों. हमारी मगर क्या ऐसी चीजें होती हैं?
कमजोरी है। अगर हमें न मिलता हो तो केवल एक खबर अगर तुम्हें याद भूल जाए, तुम अगर यह मान ही लो कि ऐसी मिलती है: हमने चेष्टा नहीं की। हमने श्रम नहीं किया। हमने चीजें होती ही नहीं तो फिर तुम उस दिशा में खोज ही न करोगे, | योग्यता अर्जित नहीं की। तड़फोगे ही न। तुम प्यासे ही न होओगे। जो होता ही नहीं, उस | लेकिन बोधि को पाने जो भी चले, वह स्मरण रखे, बहुत कुछ
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