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जिन सूत्र भागः
मोहब्बत इस तरह मालूम हो जाती है दुनिया को कि यह मालूम होता है नहीं मालूम होती है प्रेम तुम्हारे जीवन में घटेगा, पता भी नहीं चलेगा तुम्हें किसी और को भी शायद पता न चले, फिर भी सबको पता चल जाएगा। और ऐसा भी पता चलता रहता है कि मालूम नहीं हो रहा है। किसी को मालूम नहीं हो रहा है। लेकिन चुपचुप, गुपचुप, हृदय से हृदय तक खबर पहुंच जाती है।
मोहब्बत इस तरह मालूम हो जाती है दुनिया को कि यह मालूम होता है नहीं मालूम होती है
और मृत्यु तो मोहब्बत की आखिरी घड़ी है। वह तो चरमोत्कर्ष, वह तो आखिरी उत्कर्ष, वह तो चरम स्थिति है। जहां कोई व्यक्ति बिलकुल शून्य हो जाता है, सब तरफ से परमात्मा दौड़ पड़ता है अनेक-अनेक रूपों में उसे भरने को।।
इसी को हिंदू अवतरण कहते हैं। यह परमात्मा का दौड़कर किसी को भर देना अवरतण है-उतर आना। कोई खाली हो गया. परमात्मा दौड़ा उसे भरने को। ध्यानी को भी भरता है. प्रेमी को भी भरता है। लेकिन भरता तभी है, जब तुम मिटते हो।
अपने को बचाना मत। कोई भी मार्ग खोजो। अपने को मिटाने का मार्ग खोजो। संसार है अपने को बचाने की चेष्टा; धर्म है अपने को मिटाने का साहस।
आज इतना ही।
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