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मेघ बजे धिन धिन धा धमक-धमक
दामिनी गई दमक
मेघ बजे, दादुर का कंठ खुला
धरती का हृदय धुला
मेघ बजे, पंक बना हरिचंदन
फूले कदम्ब
टहनी - टहनी में कंदुक सम फूले कदम्ब,
फूले कदम्ब
जाने कबसे वह बरस रहा
ललचायी आंखों से नाहक
जाने कबसे तू तरस रहा मन कहता है छू ले कदम्ब, फूले कदम्ब
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आज इतना ही।
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याद घर बुलाने लगी।
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