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एक दीप से कोटि दीप हों -
है। दफनाकर भी क्या होगा? और इतने लोग तो गांव में हैं ही, | एक अजनबी आदमी गांव में आए, जल्दी ही तुम पाओगे, वे दफना ही लेंगे।
दो-चार दिन के भीतर उसने अपने जैसे लोग खोज लिए। अगर वे नहीं गए वापस। वे जीसस के साथ ही चलते रहे। वह भक्त था तो भक्तों के सत्संग में पहुंच जाएगा। गीत यह आवाज प्रेम की ही आवाज थी। यह करुणा का ही संदेश | गुनगाएगा, नाचेगा, प्रभु का स्मरण करेगा। शराबी था तो था। क्योंकि जीसस को पता है, एक बार व्यक्ति मक्त हो जाए | शराबखाने पहंच जाएगा। शराबियों के गले में हाथ पड़ जाएंगे। तो नाव ज्यादा देर इस किनारे पर नहीं टिकती। थोड़ी देर टिकती | जुआरी था, जुआघर खोज लेगा। है। थोड़ी देर टिक जाए, यह भी चमत्कार है। थोड़ी देर भी चेष्टा भक्त वर्षों रह जाए इस गांव में, और उसे पता न चलेगा कि से टिकती है। यह नाव जल्दी छट जाएगी। अगर पीछे जआघर कहा है। और जआरी वर्षों रह जाए. उसे पता न चलेगा लौट-लौटकर देखते रहे, और व्यर्थ की बातों में उलझते रहे और कि कहीं भजन भी हो रहा है। उसी रास्ते से गुजर जाएगा। व्यर्थ के बहाने खोजते रहे और कहा कि कल आएंगे, परसों लेकिन भजन आंख में दिखाई न पड़ेगा, कान में सुनाई न पड़ेगा। आएंगे, तो तुम कभी न आ पाओगे।
शोरगुल मालूम होगा। उससे कोई संबंध न जुड़ेगा। लेकिन इसलिए जीसस कहते हैं, जो मार्ग में आए, जो बाधा बने, उसे कहीं पासों की खनकार सुनाई पड़ जाए तो वह सजग हो हटा दो, मिटा दो।
जाएगा। उसकी दुनिया आ गयी। उसके भीतर कोई चीज मैं भी तुमसे यही कहता हूं। जो व्यर्थ है उसके साथ संग मत | तालमेल खा गई। जोड़ो। जो थोथा है उससे दोस्ती मत बनाओ। थोथे से दोस्ती तुम बाहर उन्हीं से दोस्ती बना लेते हो, जैसे तुम हो। इसलिए तुम्हारे भीतर के थोथेपन का सबूत है।
बाहर को दोष मत देना। भीतर अपने खोजना। ओछे को सत्संग रहिमन तजौ अंगार ज्यूं
ओछे को सत्संग रहिमन तजौ अंगार ज्यूं तातै जारे अंग सीरो पै कारो लगे
तातै जारे अंग सीरो पै कारो लगे। रहीम कहते हैं: ओछे को सत्संग रहिमन तजौ अंगार ज्यूं
तीसरा प्रश्न: आपने कहा है कि एक-दूसरे से विपरीत ओछे से दोस्ती मत बांधो। व्यर्थ से दोस्ती मत बांधो। असार | अनेक मार्ग हैं, जो एक परमात्मा पर ले जाते हैं। अतीत में ऐसा से दोस्ती मत बांधो। अंगार समझो ओछे को।
रहा है कि एक ही मार्ग के साधक एक गुरु के पास इकट्ठे होते तातै जारे अंग
थे। जैसे योगी अलग, भक्त अलग, तांत्रिक अलग, ध्यानी जब गरम होता, जलता होता तो शरीर को जलाता है। अलग। इससे सभी को अपने मार्ग पर चलने में सुविधा थी। सीरो पै कारो लगे
परंतु आपके पास, आपके आश्रम में तो सब विपरीत मार्गों का और जब ठंडा हो जाता है तो शरीर में कालिख लगाता है। मेला लगा हुआ है—योगी और भक्त, तांत्रिक और सूफी, ऐसा अंगार समझो ओछेपन को। जलाएगा या तो, अगर जीवित कर्मयोगी और ध्यानी, सब एक साथ। ऐसा कैसे? इससे रहा, गरम रहा। अगर मरा, मुर्दा हुआ तो कोयला हो जाएगा, तो | बाधाएं भी बनती हैं। इस संबंध में कुछ कहने की कृपा करें। फिर शरीर को काला करेगा। मगर हर हालत में सताएगा।
पर ध्यान रखना, जीवन के सारे सूत्र आत्यंतिक अर्थों में अंतस | यह सच है। अतीत में ऐसा ही था। एक गुरु एक संकीर्ण मार्ग के संबंध में हैं। तुम किसी ओछे आदमी से दोस्ती क्यों करते का उपदेष्टा होता था। उसके लाभ भी थे, हानियां भी थीं। हो? दोस्ती अकारण तो नहीं होती। तुम्हारे भीतर कुछ ओछापन | लाभ तो यह था कि तुम्हारे मन में कभी दुविधा पैदा न होती होता है जो उसके साथ तालमेल खाता है। तुम बुरे आदमी की थी। एक ही बात...एक ही बात...एक ही बात सुनते थे। एक दोस्ती कैसे कर लेते हो? कोई आसमान से दोस्ती थोड़े ही ही बात...एक ही बात...एक ही बात करते थे। संदेह पैदा न टपकती है।
होता था। चुपचाप अपने मार्ग को पकड़कर चलते थे। लेकिन
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