Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ माणेक शा ने जब यह सब छोड़ दिया तो सबसे अधिक दुःख हुआ तो . उसकी जन्मदातृ माता जिनप्रिया को और उसकी पत्नी आनन्दरति को / जिस पुत्र को मातृ हृदय ने बाल्यावस्था में ही धर्म के संस्कारों से सिंचित किया था, बाल हृदय की सुकोमल भूमि में धर्म भावना का अमूल्य बीजारोपण किया था, वही आज धर्म मार्ग से च्युत हो जाने से माँ के हृदय पर भारी वज्रघात लगा | बुद्धिशाली, समझदार पुत्र की धर्म भावना पर अचानक ऐसा गम्भीर परिवर्तन कैसे आ गया / यह माँ के लिए एक विषम पहेली बन गई / _____माँ और पत्नी की आखों से श्रावण-भाद्रवा बरसने लगा / दोनों ने माणेक को समझाने में, सत्य मार्ग पर लाने के लिए कोई कमी नहीं छोड़ी परन्तु माणेक एक का दो नहीं हुआ / दोनों ने अन्य कई उपाय उसे सुधारने के कर लिए परन्तु उस पर कोई असर न हुआ / शास्त्रकार कहते हैं कि जब बाजी हाथ से निकल जाए, सभी प्रयत्न निष्फल हो जाए तो उस कार्य को भवितव्यता पर छोड़ देना चाहिए और प्रभु भक्ति तथा प्रार्थना पर बल देना चाहिए / अब माता तथा पत्नी दोनों ने अपनी धर्माराधना को बढ़ा दिया / पहले से अधिक परमात्मा की भक्ति करने लगी / पूजा आदि करने के पश्चात् दोनों भावपूर्वक प्रभु से प्रार्थना करने लगी कि हे प्रभो ! मेरे पुत्र को सन्मति देना, पुनः सन्मार्ग पर स्थिर करना / पत्नी कहती- हे देवाधिदेव ! मेरे स्वामी को आप प्रभु भक्ति की राह पर लगाओ / इस प्रकार करते-करते बहुत समय व्यतीत हो गया / माणेक शा अपने विचारों से टस से मस भी नहीं हो रहा था / माँ का मन अति बेचैन हो गया / जिस घर में परमात्मा की पूजा न हो वह घर-घर नहीं श्मशान कहलाता है / ऐसी जिनप्रिया की मान्यता थी / उसने विचार किया कि यदि बेटे के मन में परिवर्तन नहीं आता है तो मुझे बेटे की खातिर अपने जीवन में परिवर्तन लाना पड़ेगा / ऐसा सोचकर माँ ने एक दिन मन्दिर में जाकर परमात्मा के सामने घोर 24