Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
View full book text
________________ उस समय भी आयु का बन्ध न हुआ तो 27 वर्ष को दो भाग यानि 18 वर्ष बीत जाने पर 54 + 18 = 72 वर्ष की उम्र में आयु का बन्ध होगा / अगर उस समय भी आयु का बन्ध न हुआ 9 वर्ष का तीसरा भाग यानि 6 वर्ष व्यतीत हो जाने पर 72 + 6 = 78 वर्ष की वय में आयु का बन्ध होगा / नहीं तो मृत्यु समय भी बन्ध होगा। प्रश्न- 121. आयुष्य कर्म के बन्ध के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? उत्तर- किस भव से आए हैं यह भी नहीं जानते / आगामी भव के लिए आयु बान्धने का नियत समय भी नहीं जान सकते / जीवन के किसी पल में भी आयु कर्म का बन्ध हो सकता है / अतः जैसा भाव वैसा भव / इस नियम को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक पल शुभ भाव में रहें ताकि आयु कर्म बन्धाए तो शुभ ही बन्धाए / अगर परभव आयु बान्धते समय आत्मा को शुभ भाव में नहीं रखा / किसी भी कारण से बिल्ली के भव का आयु बन्ध हो गया तो क्या होगा ? कीड़ी की रक्षा करने वाली आत्मा बिल्ली का भव मिलने से चूहे को पकड़ने की ही प्रक्रिया रहेगी / क्या ऐसी स्थिति सहन हो सकती है ? अतः आज से ही पल-पल सावधान रहने का शुभ संकल्प करें। उत्तर प्रश्न- 122. तिथियों की महत्ता किसलिए ? आयुष्य कर्म को बान्धने की शक्यता भी पर्व तिथियों में है। दो दिन व्यतीत होते ही तीसरे दिन बड़ी तिथि आ जाती है / जैसे तीज-चौथ के बाद बड़ी तिथि पंचमी / छठ-सातम के बाद अष्टमी / नवमीदशमी के बाद अगिआरस / बारस-तेरस के बाद चौदस / पूनम एकम के बाद दूज | आयु कर्म का बन्ध भी तीसरे भाग में होता है / तिथि 195