Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji

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Page 221
________________ उत्तर नामकर्म की प्रकृतियाँ दो प्रकार की हैं / 1. शुभ नाम कर्म, 2. अशुभ नाम कर्म / शुभ नाम कर्म का बन्ध- सरलता रखने से, तीन प्रकार के गारव रहित / 1. ऋद्धि गारव यानि धन आदि का अभिमान करना ऋद्धि गारव कहलाता है / 2. रस गारव अर्थात् अच्छे-अच्छे पकवान मिलने पर गर्व करना रस गारव कहलाता है। 3. साता गारव- आरोग्य का अभिमान करना साता गारव कहा जाता है / तीनों प्रकार के गारव रहित, क्षमा-मृदुता आदि गुणों वाला शुभ नाम कर्म बान्धता है। उत्तर प्रश्न- 144. अशुभनाम कर्म का बन्ध कैसे होता है ? मायावी व्यक्ति, गलत साक्षी देने वाला, देवद्रव्य-ज्ञानद्रव्य-समाज सेवादि संस्था का धन खाने वाला कामण-टूमण करने वाला, वशीकरण करने वाला, तीव्र कषाय वाला अशुभ नाम कर्म की प्रकृतियों को बान्धता है। प्रश्न- 145. नाम कर्म सम्बन्धी कुछ उदाहरण दीजिए ? सुस्वर नाम कर्म - कोयल का यश नाम कर्म - श्रीपाल महाराजा-अभयकुमार दुःस्वर नाम कर्म - कौआ, गधा उत्तर 207

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