Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ पुण्य की उदीरणा करके प्राप्त की है / एक सब्जी से काम चलता हो तो दूसरी सब्जी की अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए / दो जोड़ी वस्त्र से काम चलता हो तो उतने से काम चला लेना चाहिए | सोने के लिए जितनी. जगह प्राप्त हुई हो उसमें ही सन्तोष मान लेना चाहिए | अगर फैशन और व्यसनों को जीवन में अग्रिम स्थान दिया / मौज शौक, सौन्दर्य के प्रसाधनों को अधिक महत्व दिया तो पुण्य कर्मों की उदीरणा होगी / धीरे-धीरे पुण्य समाप्त होता जाएगा / प्रश्न- 205. किन-किन आत्माओं ने उदीरणा कर केवलज्ञान पाया ? उत्तर- 1. गजसुकुमाल मुनि- प्रभु नेमिनाथजी की आज्ञा लेकर दीक्षा के . . दिन ही कर्मों को शीघ्र क्षपित करने के लिए श्मशान भूमि में गए / सोमिल ससुर द्वारा सिर पर मिट्टी की पाल बान्धकर अंगारे रखे / उपसर्ग आते ही ध्यान में आगे बढ़े | घाती-अघाती कर्मों का नाश कर उसी दिन मुक्ति को पाए / यह कर्मक्षय उदीरणा से हुआ / 2. मेतारज मुनि- क्रौंच पक्षी द्वारा यव खाने से सोनी ने पूछा- यव कहाँ गए? क्रौंच पक्षी की रक्षा खातिर चुप रहकर सामने से कष्टों को सहन किया / जोरदार कर्मों की उदीरणा कर मुक्ति को प्राप्त किया / झाँझरिया मुनि, खंधक मुनि आदि / प्रश्न- 206. उदीरणा करण को जानने से क्या-क्या लाभ होते हैं ? 1. प्रतिकूलता आने पर किसी के द्वारा दुःख दिए जाने पर भी मन प्रसन्नतामय बना रहता है / 2. अनुकूलताओं का आकर्षण बहुत कम हो जाता है / उत्तर 237