Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ . फेरफार हो सकता है / 50 के बदले 5 वर्ष रह सकते हैं, तीव्रता के बदले मन्दरूप में वेदना होगी / अतः धर्माराधना-सत्कार्यों को करने के बाद उनकी बारम्बार अनुमोदना-प्रशंसा करने से पुण्य कर्म में वृद्धि होती है, पाप करने के बाद शान्तिकाल में पाप की प्रशंसा करने में आए तो पाप बढ़ जाएगा / जैसे कृष्ण महाराजा ! भावपूर्वक 18000 साधुओं को वन्दन करने से सातवीं नरक में ले जाने वाले तीव्र दु:ख केवल तीसरी नरक के दुखों देने की ताकत वाले रह गए / प्रश्न- 173. कर्मों को समय से पहले भी उदय में लाया जा सकता है ? उत्तर- हाँ ! जब कर्मों का शान्ति काल चल रहा हो उस शान्ति काल (अबाधाकाल) के पूर्ण होने से पहले ही कर्मों को उदय में लाकर, कर्मों का अनुभव करना उदीरणा करण कहलाता है / बाद में आने वाले कर्मों को, जल्दी ही उदय में ले आना यह कर्मों की उदीरणा कही जाती है। जैसे कि मान लीजिए- छुट्टी का दिन हो, पत्नी ने मन इच्छित रसोई बनाई उसमें गर्म-गर्म भजिया बनाया अनादिकाल से जीव को खाने के संस्कार तो हैं ही बस मनोनुकूल भजिया खाते रहो-खाते रहो, पेट पूरा भर लिया आसक्ति पूर्वक खाया तो क्या परिणाम आएगा ? अब स्वास्थ्य बिगड़ेगा / पेट में वेदना होगी / पुष्कल प्रमाण में भजिया खाने से अशाता वेदनीय कर्म का उदय चालू हो गया जो अशातावेदनीय बहुत समय के बाद उदय में आना था जिसका अभी अबाधाकाल चल रहा था / उस आशातावेदनीय कर्म को खींचकर उदय में शीघ्र ले आए यानि कर्म की उदीरणा हुई / 222