Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji

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Page 231
________________ है, घर के बड़ों की अनुमति भी मिल गई है परन्तु पयूर्पण के एक दिन पहले स्वास्थ्य ही बिगड़ गया अथवा घर के किसी निकट सम्बन्धी का एक्सीडेंट हो गया, हॉस्पिटल भी बारम्बार जाना पड़ेगा आदि जिम्मेदारियाँ आने से अट्ठाई न हो सकी उसमें वीर्यान्तराय कर्म का उदय है / अगर अन्तराय कर्म का उदय नहीं चाहिए तो अन्तराय कर्म बान्धने के कार्यों को आज से बन्द कर देना चाहिए / प्रश्न- 161. अन्तराय कर्म के बन्ध के कारण समझाएँ / उत्तर- 1. जिन पूजा में अन्तराय करने से / 2. जीवहिंसा, झूठ, चोरी, मैथून, परिग्रह, रात्रिभोजन में आसक्त रहने से / 3. भव्य जीवों को मोक्षमार्ग से पतित करने वाला / 4. साधु-साध्वी जी म. को आहार-पानी, उपाश्रय औषध आदि में निषेध करने वाला / 5. अन्य जीवों को दान, लाभ, भोग, उपभोग में अन्तराय करने से 6. दान देने के बाद पश्चात्ताप करने से / 7. धर्मक्रिया में प्रमाद करने से, अविधि पूर्वक करने से अन्तराय कर्म का बन्ध होता है। प्रश्न- 162. अन्तराय कर्म को तोड़ने के लिए क्या करना चाहिए ? उत्तर- शुभ कार्यों में अगर विघ्न आते हों तो पूर्वभव के कर्म का उदय मानकर आर्तध्यान नहीं करना परन्तु धर्म की आराधना, दानादि के कार्य दूसरों के पास करना, जो कर रहे हों उनकी अनुमोदना करना इससे नए कर्मों का बन्ध नहीं होगा तथा पुराने कर्मों का क्षय होगा / 217

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