Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ उत्तर सातवाँ कर्म - गोत्र कर्म प्रश्न- 147. गोत्र कर्म किसे कहते हैं ? जिस कर्म के उदय से जीव को ऊँच संस्कार वाले कुल में अथवा निम्न संस्कार वाले कुल में जन्म हो उसे गोत्र कर्म कहते हैं। प्रश्न- 148. गोत्र कर्म के कितने भेद हैं ? वर्णन करें / उत्तर- गोत्र कर्म के दो भेद हैं। 1. उच्च गोत्र- उच्च गोत्र के प्रभाव से ऊँचे कुल में जन्म होता है / जीवन भी मान सम्मानपूर्वक व्यतीत होता है। . .. 2. नीच गोत्र- नीच गोत्र के प्रभाव से (उदय से) हल्के कुल में जन्म मिलता है / जीवन में तिरस्कार मिलता है | प्रश्न- 149. किन-किन जीवों को कौन-कौन से गोत्र कर्म का उदय होता है ? नरकगति के जीवों को तथा कुत्ता-बिल्ली आदि पशु-पक्षी रूप तिर्यंच जीवों को नीच गोत्र कर्म का उदय होता हैं / देवों को सदा उच्च गोत्र का उदय माना गया है / मनुष्य गति में कितने मनुष्यों को उच्च गोत्र का तथा कितने मनुष्यों को नीच गोत्र का उदय होता है / परन्तु किसी भी जीव को दोनों गोत्र कर्म का उदय एक ही साथ में नहीं हो सकता / 1. कर्ण का जन्म कुन्ती के पेट से होने पर भी नीच गोत्र कर्म के उदय से सारथी के घर में पालन-पोषण हुआ / 2. भ. महावीरस्वामीजी को भी 82 दिन तक ब्राह्मणी की कुक्षी में रहना पड़ा यह नीच गोत्र कर्म के कारण ही / प्रश्न- 150. भ. महावीरस्वामीजी ब्राह्मण कुल में क्यों आए ? उत्तर 209