Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ स्निग्ध आहार के कारण रोग हो जाने से, शरीर को प्रतिकूल आहार * देने से भी आयुष्य टूट जाती है / 4. वेदना- शूलादि भयंकर बिमारियों से, केंसर से भी अकाल मृत्यु हो जाती है। 5. पराघात- गहरे गड्ढे में गिर जाने से, सातवीं मंजिल से गिरने से, पर्वतादि के ऊपर से झंपापात करने से, गाड़ी नीचे आ जाने से ऐसे कारणों से भी अकाल मृत्यु होती है / 6. स्पर्श- तालपुट जहर के स्पर्श होने से, विषकन्या स्पर्श से, भयंकर सर्प-अग्नि के स्पर्श से अकाल मृत्यु हो जाती है / 7. श्वासोश्वास- दमे आदि व्याधि के कारण अत्याधिक श्वासोश्वास जोर-जोर से लेने से या श्वासोश्वास रुक जाने से भी अकाल मृत्यु हो जाती है। उपरोक्त सात कारणों से आयुष्य कर्म के पुद्गल प्रतिसमय अधिक से अधिक भोगने से जीव की आयु अकाल में ही पूर्ण हो जाती प्रश्न- 131. नरकायु बन्ध का मुख्य कारण क्या है ? उत्तर- नरक की आयुष्य का मुख्य कारण रौद्रध्यान है / वह रौद्रध्यान चार प्रकार का है। 1. हिंसानुबन्धी- प्राणियों की हिंसा करने का तीव्र परिणाम | सतत उसी की विचारणा / कालसौरिक कसाई हिंसा के तीव्र भाव में सतत रहने से मर कर सातवीं नरक में गया / 2. मृषानुबन्धी- असत्य बोलने का तीव्रता पूर्वक सतत चिन्तन / जैसे वसुराजा मरकर नरक में गया / 200