Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji

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Page 217
________________ कि माता-पिता की आयुष्य को उपक्रम लगेगा वह अकालमृत्यु को प्राप्त करेंगे / सर्वजीवों का हित करने वाली सर्वविरति जीवन की प्राप्ति माता-पिता के मरण में निमित्त बनेगी और माता-पिता का मरण दीक्षा जीवन के लिए अमंगल रूप बनेगा | कहीं ऐसी दुर्घटना घटित न हो जाए इसीलिए परमात्मा ने अभिग्रह किया कि जब तक माता-पिता जीवित रहेंगे तब तक दीक्षा नहीं लूँगा / अगर माता-पिता की आयुष्य सोपक्रमी न होती तो प्रभु को ऐसे अभिग्रह की जरूरत नहीं पड़ती। प्रश्न- 137. तो क्या आजकल भी ऐसा अभिग्रह करना चाहिए ? उत्तर- नहीं ! नहीं ! जिनके पास अपने माता-पिता की आयुष्य कितनी है ? उस का ज्ञान नहीं, वह परमात्मा का उदाहरण लेकर दीक्षा नहीं लेनी, जब तक माता-पिता जीवित हैं, कैसे सोच सकते हैं ? हाँ ! अगर परमात्मा का उदाहरण ही लेना है तो माता-पिता की मृत्यु बाद भगवान ने दीक्षा ली थी तो जिनके माता-पिता की मृत्यु हो गई हो तो प्रत्येक को दीक्षा लेनी ही चाहिए / यह भी अभिग्रह लेना चाहिए / छठा कर्म - नाम कर्म प्रश्न-138. नाम कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर आत्मा का गुण अरूपी है / उस अरूपीगुण को ढंकने वाला कर्म नाम कर्म कहलाता है / जिस प्रकार नाटक मण्डली के नायक नट को जो-जो वेश धारण करने के लिए कहा जाए उसे वहीं वेश धारण करना ही पड़ता है इसी प्रकार नाम कर्म आत्मा को भी रूप-यश-स्वर-दुःस्वर-अपयश आदि को धारण कराकर संसार 203

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