Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji

View full book text
Previous | Next

Page 218
________________ उत्तर उत्तर . रूपी मण्डप में नाचना ही पड़ता है / आत्मा को पराधीन बनाकर नचाने वाला कर्म नाम कर्म कहा जाता है / प्रश्न- 139. नामकर्म किसके समान है ? नामकर्म चित्रकार के समान है / जिस प्रकार चित्रकार रंग-बिरंगे अलग-अलग प्रकार के अच्छे-बुरे चित्र बनाता है उसी प्रकार नाम कर्म भी शुभाशुभ शरीर सम्बन्धी रचनाओं को करता है / प्रश्न- 140. नाम कर्म कौन-कौन से कार्य करता है ? प्रश्न-140. न 1. जैसे अंग्रेजों की गौरवर्ण चमड़ी, चीनी लोगों की पीली चमडी, हबशीओं की काली चमड़ी ये सब नाम कर्म की ही करामात है / 2. कोयल की मीठी वाणी - कौए की कर्कश वाणी में भी नाम कर्म की ही विशेषता है / 3. नींबू खट्टा क्यों ? आम मीठा क्यों ? करेला कड़वा क्यों ? यह सब नाम कर्म की ही विलक्षणता है / 4. हाथी का शरीर बड़ा, कीड़ी का शरीर छोटा क्यों ? 5. आकाश में उड़ सके इसके लिए पक्षियों का पंख वाला शरीर . किसने बनाया ? 6. किसी को एक तो किसी को दो-तीन-चार-पाँच इन्द्रियाँ क्यों? नाम कर्म ही कारण है। 7. किसी को मोर, किसी को देव, किसी को दानव, किसी को मानव, किसी को पशु अलग-अलग प्रकार के शरीर को देने वाला कौन ? नाम कर्म / 8. अलग-अलग प्रकार के स्पर्श अर्थात् ठण्डा-गर्म-रूक्ष स्निग्ध का कारण कौन ? नामकर्म | 204

Loading...

Page Navigation
1 ... 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254