Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji

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Page 213
________________ उत्तर प्रश्न- 129. खूब जानकारी मिली अब भय का दृष्टान्त समझाएँ ? 3. भय से मृत्यु- श्री कृष्णजी के पुत्र गजसुकुमाल ने परमात्मा नेमिनाथ प्रभु के पास दीक्षा ग्रहण की / मोक्ष की उत्कण्ठा इतनी जोरदार थी कि प्रभु की आज्ञा लेकर उसी दिन श्मशान में जाकर काउस्सग्ग ध्यान में लीन हो गए / उधर से ससुर सोमिल ब्राह्मण ने गजसुकुमाल को मुनि अवस्था में देखा सोचने लगा- अरे ! यह तो साधु बन गया / मेरी बेटी को कुँवारी रख दिया / ऐसा सोचते ही उस ससुर सोमिल ब्राह्मण ने गजसुकुमाल मुनि के मस्तक पर मिट्टी की पाल बान्ध दी / उस पर अंगारे भर दिए / मुनिवर समभाव में लीन बने रहे | ससुर ने मुझे मोक्ष की पगड़ी बान्धी है, उसके उपकार को ध्यान में लेकर घातीअघाती कर्मों को खपाकर मोक्ष में चले गए। सोमिल ससुर ने जैसे ही नगर में प्रवेश किया सामने ही कृष्ण वासुदेव को आते देखा और भय लगा हाय ! अब मेरा क्या होगा ? कृष्ण मुझे मार डालेगा / ऐसे अध्यवसाय भय के कारण पैदा होते ही ऐसा आघात लगा कि द्रव्य आयुष्य पूर्ण हुई और मृत्यु को प्राप्त हो गया / उत्तर प्रश्न- 130. आयु टूटने के अन्य कारण समझाएँ ? दूसरा कारण 2. निमित्त- दण्ड-शस्त्र-जहर पीने से आदि निमित्तों से आयु का क्षय होता है। 3. आहार- अधिक आहार करने से जैसो कंडरीक मुनि खाने में लुब्ध होने से, दीक्षा छोड़ राजा बनने के बाद अकाल में मृत्यु होने से सातवीं नरक में गए / सम्प्रति महाराजा पूर्वजन्म में द्रमक अति आहार करने से मृत्यु को पाए बारम्बार खा-खा करने से, अति 199

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