Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji

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Page 212
________________ 1. राग से, 2. स्नेह से, 3. भय से / 1. राग से मृत्यु- गर्मी के ताप से व्याकुल बना युवान पथिक पानी के प्याऊ के पास आया / रूपवान युवान को पानी देते समय प्याऊ पर बैठी स्त्री युवान के तरफ आकर्षित हो गई / अपने भावों को उसे नहीं बताया / पानी पीकर युवान तो अपने स्थान की ओर चल पड़ा / युवान के प्रति अत्यन्त राग से आसक्त बनी स्त्री एकटक से जाते हुए युवान को देखने लगी / दृष्टिपथ से ओझल हो जाने पर अब मुझे वापस नहीं मिलेगा ? ऐसे अध्यवसायों से वह वहीं मृत्यु को प्राप्त हो गई / इन अध्यवसायों से द्रव्यायुष्य को शीघ्र भोग लिया राग के अध्यवसाय मृत्यु को जल्दी ले आते हैं / प्रश्न- 128. राग से मृत्यु का दृष्टान्त समझाया अब स्नेह पर भी दृष्टान्त से समझाएँ ? उत्तर- 1. स्नेह से मृत्यु- राम-लक्ष्मण दोनों के बीच अतितीव्र स्नेह था / उनके स्नेह की परीक्षा करने के लिए देवता ने अपना रूप परिवर्तन करके लक्ष्मणजी को कहा- अरे ! रामचन्द्रजी की मृत्यु हो गई / यह समाचार सुनते ही मैं रामचन्द्रजी के बिना कैसे जीवित रह सकूँगा / ऐसे स्नेह से उत्पन्न हुए विकल्प से लक्ष्मणजी को ऐसा गहरा आघात लगा कि उनकी तुरन्त मृत्यु हो गई / द्रव्यायुष्य और कालायुष्य दोनों एक साथ ही पूर्ण हुई / 2. एक सार्थवाह बहुत समय के बाद परदेश से अपने घर आ रहा था / उसके आने से पूर्व उसके मित्र ने स्त्री के प्रेम की परीक्षा करते हुए कहा- तुम्हारे पति की मृत्यु हो गई / यह समाचार सुनते ही स्त्री मृत्यु को प्राप्त हो गई / सार्थवाह घर में आया / पत्नी की मृत्यु की बात सुन वह भी उसी क्षण मृत्यु को प्राप्त हो गया / ये दोनों दृष्टान्त स्नेह से मृत्यु को प्राप्त होने के हैं / 198

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