Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ . तेजोलेश्या छोड़ी / गुरु का अपमान किया / उसी भव में सात दिन तक सतत संतप्त रहा / भवोभव में दुखों को भोगने वाला होगा / 2. माता-पिता के प्रति तिरस्कार का भाव रखने से / 3. घोड़ा-बलद आदि को निर्दयता से वहन करने से / 4. दुःख आने पर हाथ-पाँव-मस्तक को पछाड़ने से / 5. घर के आँगन में आए भिखारी आदि को गाली देना-भोजन न देना / साता-असाता वेदनीय के कारण जानने पर कभी भी भूल से भी असाता वेदनीय कर्म का बन्ध न हो सदैव ध्यान रखें / प्रश्न- 96. वेदनीय कर्म किस के समान है ? उत्तर- वेदनीय कर्म शहद से लिप्त तलवार की तरह है / शहद से लिप्त तलवार को चाटने से शहद का स्वाद आने से आनन्द तो आता है परन्तु तलवार की धार से जीभ कट जाने से दुःख भी होता है / सुख-दुःख दोनों को लाए बिना नहीं रहता / प्रश्न- 97. किस-किस ने साता वेदनीय कर्म के कारण सुख पाया ? उत्तर- जो कोई भी, किसी भी प्रकार का सुख हमें प्राप्त होता है उसका कारण सातावेदनीय कर्म / 1. शालीभद्र ने पूर्वभव में मासखमण के तपस्वी को, खीर का दान उत्कृष्ट भावों से दिया फलस्वरूप असूट ऋद्धि को पाया / बाद में संयमी बन सर्वार्थ सिद्ध विमानवासी देवता बने / एक भव कर मोक्ष में जाएँगे। 2. कयवन्ना सेठ ने भी पूर्वभव में दान देकर साता वेदनीय कर्म बान्धा / 182