Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ तो मोहनीय कर्म के 28 भेद बनते हैं / ये 25 भेद चारित्र मोहनीय के आचरण पर आक्रमण करते हैं | प्रश्न- 105. अनन्तानुबन्धी आदि चारों कषायों से कौन-सी गति का बन्ध होता उत्तर 1. अनन्तानुबन्धी कषाय के उदय वाला जीव नरकगति योग्य कर्म का बन्ध करता है / 2. अप्रत्याख्यानीय कषायोदय वाला तिर्यंचगति का बन्ध करता है। 3. प्रत्याख्यानीय कषायोदय वाला जीव मनुष्यगति का बन्ध करता 4. संज्वलन कषायोदय वाला जीव देवगति का बन्ध करता है | प्रश्न- 106. अनन्तानुबन्धी आदि चार कषाय किस-किस गुण का नाश करते उत्तर अनन्तानुबन्धी कषाय सम्यक्त्वगुण का नाश करता है | अप्रत्याख्यानीय कषाय देशविरति का नाश करता है / प्रत्याख्यानीय कषाय सर्वविरति का नाश करता है / संज्वलन कषाय यथाख्यात चारित्र का नाश करता है। प्रश्न- 107. अनन्तानुबन्धी आदि चार प्रकार का क्रोध किस के समान है ? उत्तर- 1. संज्वलन क्रोध- पानी में पड़ी रेखा के समान है / तुरन्त संज्वलन क्रोध शान्त हो जाता है | 2. प्रत्याख्यानीय क्रोध- रेती में की गई रेखा समान है पवन के चलने से मिट जाती है / इस प्रकार प्रत्याख्यानीय क्रोध थोड़े से उपाय से शान्त हो जाता है / 187