Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ उत्तर .. 4. संज्वलन कषाय- ये चारों कषाय 15 दिन तक टिके रहे तो संज्वलन कषाय कहा जाता है / अनन्तानुबन्धी- अप्रत्याख्यानीय, प्रत्याख्यानीय, संज्वलन ये चारों के क्रोध-मान-माया-लोभ ऐसे चार-चार प्रकार होने से कषाय मोहनीय कर्म 16 प्रकार के होते हैं | प्रश्न- 104. नव नोकषाय मोहनीय कर्म को समझाएँ / नोकषाय- नो का अर्थात है प्रेरित करना / जो कषायों को करने में प्रेरणा करें उसे नोकषाय कहते हैं | उसके नव भेद हैं / 1. हास्यमोहनीय कर्म- कारण या कारण बिना हँसी कराए / 2. शोकमोहनीय- शोक उत्पन्न करें / 3. रतिमोहनीय- प्रत्येक पदार्थ में आनन्द की अनुभूति कराए / 4. अरति मोहनीय- खेद-व्याकुलता का अनुभव कराए उसे....। 5. भय मोहनीय- भयभीत बनाए उसे....। 6. दुगंछा मोहनीय- जुगुप्सा-दुर्गंछा पैदा कराए....। 7. पुरुषवेद मोहनीय- स्त्री के साथ काम सेवन की इच्छा कराए उसे..... 8. स्त्रीवेद मोहनीय- पुरुष के साथ काम सेवन की इच्छा कराए उसे....| 9. नपुंसक वेदमोहनीय- पुरुष-स्त्री दोनों के साथ कामसेवन की इच्छा कराए उसे....। इस प्रकार 16 कषाय + 9 नोकषाय मिलकर चारित्र मोहनीय कर्म के 25 भेद हुए / इसमें तीन प्रकार के दर्शन मोहनीय कर्म मिलाए 186