Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ उतार देगा परन्तु किसी को निराश नहीं होना अन्तिम विजय अपनी ही होगी / तत्पश्चात् सूरिजी ने जावड़ को विशिष्ट मन्त्र साधना दी / जावड़ उसमें तन्मय हो गया / नूतन कपर्दी यक्ष के मस्तक पर हाथ रखकर आचार्य भगवन ने उस पर सूक्ष्म शक्ति पात किया, उसी क्षण कपर्दी का सम्पूर्ण स्वरूप बदल गया / उसके मन में पुराने दुष्ट कपर्दी की मलीन टोली को भगाने की भावना तीव्रता से उछलने लगी। श्री संघ ने पालीताना में प्रवेश किया, संघ तलहटी पर पहुँच गया / स्थ सहित सभी जिनबिम्ब को ऊपर खींचने लगे / ठेठ ऊपर स्थ पहुँच गया / सभी के हर्ष का पार न रहा / परन्तु अफसोस ! रात्रि को स्थ सहित वह बिम्ब तलेटी पर आ गया / इस प्रकार इक्कीस (21) बार जिनबिम्ब को ऊपर लेकर गए और इक्कीस बार ही ऐसा बना / मिल रही सफलता पर दुष्ट पुराना कपर्दी अट्टहास करने लगा / उसके इस अट्टहास से सभी यात्री भयभीत होकर काँपने लगे / बावीसवीं बार पुनः स्थ ऊपर चढ़ाया / आज संध्या के समय ही आचार्य वजस्वामीजी ने जावड़ और जयमती की देह को मन्त्र बलों से अभेद्य बना दिया था / दोनों को रथ के पहिए के आगे सुला दिया / उनके बाजू में ही स्वयं सूरिजी पद्मासनस्थ और ध्यानस्थ बनकर बैठ गए / अरिहन्त परमात्मा के साथ अभेद प्रणिधान का उत्कृष्ट योग साधने लगे | सकल श्री संघ भी कायोत्सर्ग करके ध्यान मुद्रा में लीन हो गया / उस दिन भी दुष्ट कपर्दी ने प्रतिमा नीचे ले जाने की बहुत मेहनत की परन्तु आचार्य भगवन्त की सम्पूर्ण शक्ति के आगे उसकी मेहनत निष्फल हो गई / प्रातःकाल हुआ / रथ को, प्रतिमा को, सकल संघ को सुरक्षित देखकर सभी ने पूरा जोर लगाकर हर्षनाद के साथ जयघोष किया / नूतन कपर्दी यक्ष भी अब सैकड़ों देवों की सशस्त्र सेना सहित उपस्थित हो गया / आचार्य भगवन के आदेश में जावड़शा ने सिद्धगिरि पर पूरी सफाई कराई, जहाँ पर भी हड्डियाँ, खून आदि पड़ा था / पुरानी प्रतिमा पर तथा मन्दिर की 90