Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ स्थिरता करो और अभी से ही भावि के तीर्थोद्धारक बाल करमा शा को जीवन का संस्करण और अध्यापन आदि करावो / गुरुदेव की आज्ञा को शिरोधार्य करके उपाध्यायजी आदि अनेक मुनिवर चित्तौड़ में ही ठहर गए / आचार्य भगवन ने विहार कर दिया / तोला शा का स्वर्गवास वयोवृद्ध तोला शा अपने सभी पुत्रों के साथ प्रतिदिन गुरुदेव के पास जाकर सामायिक, प्रतिक्रमण, प्रवचन, प्रश्नोत्तरी, तपस्या आदि धर्माराधना करने लगा / जैसे-जैसे समय बीतने लगा, बाल करमा शा अधिकाधिक धर्मप्रिय बनने लगा. | उसकी योग्यता को देखकर गुरुदेव ने चिन्तामणि महामन्त्र विधिपूर्वक उसे दिया और उसकी साधना विधि भी उसे समझा दी / करमा शा गुरुदेव के कथनानुसार जाप करने लगा / कुछ महीने गुरुदेव वहाँ पर स्थिरता करके चित्रकूट से अन्यत्र विहार कर गए | तोला शा अपना जीवन धर्माराधना में ही व्यतीत करने लगा तथा पुण्य क्षेत्रों में अपनी सम्पत्ति का उदारता से सद्व्यय करने लगा / एक दिन उपकारी गुरुदेव श्री धर्मरत्नसूरिजी महाराज का स्मरण करता-करता सभी पापकर्मों का पच्चक्खाण करके अनशन स्वीकार करके समाधिमरण को प्राप्त हुआ / अपने पीछे अपनी सन्तान को धार्मिक संस्कारों का वारसा देकर छः पुत्र और एक पुत्री को छोड़कर देवलोक में गया / शुभ घड़ी की प्रतीक्षा पिता के देवलोक गमन बाद करमा शा ने व्यापार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली / न्याय-नीतिपूर्वक पिता की कपड़े की दुकान को सम्भालने लगा / थोड़े ही समय में उसने अपनी बुद्धि के द्वारा तथा न्याय-नीति के प्रभाव से विपुल धन का उपार्जन कर लिया / चित्तौड़गढ़ का एक प्रसिद्ध व्यापारी बन गया / उसने अनेक श्रावक पुत्रों की सहायता करके आजिविका के लिए योग्य व्यापार शुरू करा दिया / 111