Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
View full book text
________________ व्यापार के साथ-साथ धर्म आराधना में भी करमा शा अधिक उद्यम करने लगा / दोनों समय प्रतिक्रमण, त्रिकाल जिन पूजा, पर्व तिथि में पौषध तथा चिन्तामणि महामन्त्र का जाप दिन-रात करने लगा / करमा शा की कर्पूरा देवी तथा कमला देवी नाम की दो स्वरूपवान पत्नियाँ थी / अनेक बच्चों के बीच में करमा शा देवों में इन्द्र के समान शोभायमान हो रहा था / दुखियों के प्रति करुणालु हृदयी था, याचकों को कभी भी घर से खाली नहीं भेजता था / साधर्मिकों का सहयोगी था, इस प्रकार चित्तौड़गढ़ में सज्जनों में अग्रगण्य उसका नम्बर था / तीर्थोद्धार की बात को बारम्बार याद करता हुआ शुभ घड़ी और शुभ पल की प्रतीक्षा कर रहा था / इधर गुजरात की राजधानी चांपानेर थी / वहाँ पर मुहम्मद बेगढ़ो राज्य करता था / उसने जूनागढ़ और पावागढ़ के दो गढ़ों को जीता था / अतः उसका नाम बेगढ़ों पड़ गया था / उसकी मृत्यु के बाद मुजफ्फर बादशाह गादीनशीन हुआ / उसका छोटा भाई बहादुर शा था, उसे योग्य जागीर न मिलने से रूठ कर घर से बाहर निकल गया / वह बड़ा साहसिक और शूरवीर था / वह अनेक गावों नगरों में घूमता हुआ चित्तौड़ पहुँच गया / उसके साथ अनेक नौकर-चाकर भी थे / चित्तौड़ में करमा शा कपड़े का बहुत बड़ा व्यापारी था / घूमता-घूमता बहादुर शा करमा शा की दूकान पर पहुँच गया / उसने वहाँ से बहुत ज्यादा कपड़ा खरीदा / योगानुयोग बहादुर शा के पास सम्पत्ति अधिक खर्च हो जाने से अब आगे के लिए रुपये की कमी हो गई / परस्पर वार्तालाप करते हुए करमा शा और बहादुर शा दोनों में परस्पर मैत्री हो गई / ('एक बार गौत्रदेवी ने स्वप्न में करमा शा को कहा था कि बहादुर से तेरी कार्य सिद्धि होगी / उसी बात को ध्यान में रखते हुए करमा शा ने बहादुर के साथ मैत्री सम्बन्ध जोड़ने का निश्चय किया हुआ था / ') 112