Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
View full book text
________________ प्रशान्त और उपशान्त होते हैं | कभी भी कुल की मर्यादा का उल्लंघन नहीं करते हैं, संस्कृति के नियमों को तोड़ते नहीं हैं, धर्माराधना छोड़ते नहीं हैं / ऐसे व्यक्ति पीढ़ी दर पीढ़ी तक अक्ष लक्ष्मी और शुभ लक्ष्मी के मालिक बने रहते हैं / ऐसे ही एक संस्कारी परिवार के बंगले में एक बार कोई गुरु महाराज चरण करने के लिए गए / उनके घर में घर मन्दिर था / घर के सभी सदस्य परमात्मा की त्रिकाल पूजा सेवा, दर्शन, आरती करते थे / नवकारसी और चउविहार का नियम प्रत्येक सदस्य के लिए जरूरी था / घर में कोई रात्रि भोजन नहीं करता था / उस सेठ के चार लड़के और चारों बहुओं का बहुत बड़ा परिवार था, परन्तु सभी मर्यादा युक्त वस्त्र धारण करते थे / नंगे सिर कोई भी नहीं घूमता था / सभी प्रातःकाल उठकर बड़ों के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेते थे / प्रात:काल तथा सायंकाल प्रतिदिन प्रभु भक्ति करते थे, कबूतरों को दाना डालते थे, भिक्षुकों को दान देते थे, साधु-साध्वीजी को प्रतिदिन सुपात्रदान देते थे / कुल की मर्यादा ऐसी थी कि बड़े खड़े हों तो छोटे कुर्सी या पलंग पर नहीं बैठते थे / ससुर, देवर, जेठ या पति घर पर आए तो बहुएँ लाज (घुघट) निकाल कर एक तरफ खड़ी हो जाती थी, उनका उल्लंघन करके इधर-उधर नहीं घूमती थी / बड़ों के सामने धीमें स्वर से बात करती थी / घर में किसी को कोई भी व्यसन नहीं था, रात के नौ (9) बजे तक परिवार के सभी पुरुष घर में हाजिर हो जाते थे / स्त्रियाँ कभी रात को घर से बाहर नहीं निकलती थी / इस परिवार को भारतीय संस्कृति का आदर्श कुटुम्ब कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति न होगी / इस परिवार में सात पीढ़ी से लक्ष्मी अनराधार चली आ रही है। आजकल अधिकतर यही देखा जाता है कि लक्ष्मी बढ़ने के साथ संस्कारों का दिवाला निकल जाता है, पाप प्रवृत्ति बढ़ जाती है, चिन्ता का पार नहीं रहता है, लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं, प्रतिदिन पारिवारिक सदस्यों में लड़ाई-झगड़ा सुबह से शाम तक चलता रहता है / कोई एक-दूसरे के सामने देखने को तैयार नहीं होता / कई लोग तो पैसे के लिए भाई-भाई का खून कर देते हैं, माँ-बाप को घर से बाहर निकाल देते हैं / दुःखी होकर आत्महत्या कर लेते हैं / 140