Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ प्रश्न- 76. गुण निमित्तक अवधि ज्ञान के 6 भेद बताएँ ? उत्तर 1. आनुगामिक- जो अवधि ज्ञान आँख की तरह जहाँ-जहाँ जाए साथ ही रहे उसे अनुगामी अवधि ज्ञान कहते हैं / 2. अननुगामिक- दीपक की तरह जहाँ अवधि ज्ञान उत्पन्न हुआ उस स्थल से संख्यात-असंख्यात योजन में रहे रूपी द्रव्यों को देख सकता है / वहाँ से दूसरे स्थान पर जाएगा तो अवधि ज्ञान साथ में नहीं जाएगा / 3. वर्धमान- जैसे लकड़ियों को आग में डालने से अग्नि की ज्वाला बढ़ जाती है वैसे ही अवधि ज्ञान विशुद्ध-विशुद्धतर अध्यवसाय से बढ़ता जाए उसे वर्धमान अवधि ज्ञान कहते हैं / 4. हीयमान- जो अवधि ज्ञान अध्यवसायों की अशुद्धि के कारण अथवा तथाविध सामग्री के अभाव से दिन-प्रतिदिन घटता जाए उसे ही हीयमान अवधिज्ञान कहते हैं / 5. प्रतिपाती- जिस प्रकार जलता हुआ दीपक जोरदार पवन के कारण एकदम बुझ जाता हौ वैसे ही जो अवधि ज्ञान निमित्त मिलते ही एकदम चला जाए उसे प्रतिपाती अवधि ज्ञान कहते हैं / दृष्टान्त- जैसे कि एक मुनि को काजा निकालते-निकालते शुभ अध्यवसाय से अवधि ज्ञान हुआ / मुनि ने अवधि ज्ञान के बल से देखा कि देवलोक में इन्द्र महाराजों को इन्द्राणि के चरणों में गिर रहा है, इन्द्राणी ने जोर से लात लगाई तो भी उसके पावों को दबा रहा है ऐसा दृश्य देख मुनि को हँसी आ गई / गम्भीरता समाप्त हुई कि अवधिज्ञान तुरन्त चला गया / 6. अप्रतिपाती- जो अवधिज्ञान उत्पन्न होने के पश्चात जब तक केवलज्ञान की प्राप्ति न हो, तब तक स्थिर ही रहे, जाए ही नहीं उसे अप्रतिपाती कहते हैं। 173