Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ उत्तर प्रश्न- 81. केवलज्ञान के कितने भेद हैं ? वर्णन करें / केवलज्ञान एक ही प्रकार का है / क्योंकि वह एक ही समय में सभी क्षेत्र के, सभी पदार्थों को अक्रम रूप से, हाथ में रहे हुए आँवले के समान एक ही साथ में जो ज्ञान बताता है उसे केवलज्ञान कहते हैं। प्रश्न- 82. केवलज्ञानी के पर्यायवाची नाम बताएँ ? उत्तर- सर्वज्ञ, वीतराग, केवली, जिन आदि नाम से पुकारे जाते हैं। . प्रश्न- 83. अवधि-मन:पयर्व तथा केवल में कोई विशेषता है ? उत्तर- अवधि और मनःपर्यव ज्ञान में उपयोग दिया जाए तो ही जानकारी होती है जबकि केवल ज्ञान में बिना उपयोग दिए, सहज रूप से, रूपी-अरूपी सभी पदार्थ केवल ज्ञान में दिखते ही रहते हैं / इसीलिए केवल ज्ञान उत्तमोत्तम, सर्वोत्कृष्ट ज्ञान कहा जाता है / इसको रोकने वाला कर्म केवल ज्ञानावरणीय है / प्रश्न- 84. ज्ञान के कुल कितने भेद हुए ? उत्तर- मतिज्ञान के 28 भेद, श्रुतज्ञान के 14 भेद, अवधि ज्ञान के 6 भेद, मनःपयर्वज्ञान के 2 भेद, केवल ज्ञान का एक भेद / 28 + 14 + 6 + 2 + 1 = 51 भेद हुए / प्रश्न- 85. 5 ज्ञान में से प्रत्यक्ष और परोक्ष कितने हैं? प्रत्यक्ष अर्थात् प्रति + अक्ष अक्ष शब्द का अर्थ है आत्मा 1. प्रत्यक्ष ज्ञान- साक्षात् आत्मा द्वारा वस्तु का जो बोध होता है उसे प्रत्यक्ष ज्ञान कहते हैं / केवलज्ञान, मनःपर्यवज्ञान और अवधिज्ञान यह तीनों प्रत्यक्ष ज्ञान हैं / उत्तर 175