Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ होते देखकर लोगों के उपकार के लिए अंग प्रविष्ट श्रुत के आधार ‘पर जो-जो ग्रन्थ लिखे वह अंगबाह्य श्रुत कहे जाते हैं / जैसे दशवैकालिक, आवश्यक नियुक्ति आदि / प्रश्न- 73. अवधि ज्ञानावरणीय कर्म किसे कहते हैं ? उत्तर- अवधि-मर्यादा, 1. मर्यादायुक्त ज्ञान वह अवधिज्ञान 2. जिस ज्ञान से केवल रूपी पदार्थों का ही बोध हो उसे अवधिज्ञान कहते हैं। प्रश्नः- 74. अवधि ज्ञान के मुख्य कितने भेद हैं ? उत्तर- अवधि ज्ञान के मुख्य दो भेद हैं। 1. भवप्रत्ययिक- जो अवधि ज्ञान भव के निमित्त से उत्पन्न होता है वह भवप्रत्ययिक अवधि ज्ञान कहा जाता है | जैसे पक्षी को भव मिलते ही आकाश में उड़ने की शक्ति मिल जाती है / वैसे ही सम्यकत्वी जीव को देव का भव मिलते ही अवधि ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है / देवता और नारकी को जो अवधि ज्ञान होता है वह भवप्रत्ययिक अवधि ज्ञान कहा जाता है / 2. गुणप्रत्ययिक- जो अवधि ज्ञान सम्यग्दर्शन आदि गुण के निमित्त से उत्पन्न है वह गुण प्रत्ययिक (गुण निमित्तक) अवधि ज्ञान कहा जाता है / तिर्यंच और मनुष्य को ज्ञान-दर्शन-चरित्र और तप धर्म की आराधना करते-करते अवधिज्ञानावरणीय कर्म के क्षयोपशम से गुण निमित्त अवधि ज्ञान उत्पन्न होता है | प्रश्न- 75. गुण निमित्तक अवधि ज्ञान कितने प्रकार का होता है ? उत्तर- गुण निमित्तक अवधि ज्ञान 6 प्रकार का है / 172