Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ 2. उस मूलसूत्र पर नियुक्ति रचने' में आती है उसका विवरण प्राकृत भाषा में किया गया है / 3. भाष्य- इस में नियुक्ति पर भाष्य रचा गया इसका भी प्राकृत भाषा में ही विस्तार किया गया / 4. चूर्णी- इसका संस्कृत भाषा में विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया / 5. वृत्ति-टीका- सविस्तार वर्णन किया गया / यह पाँचों ही आगम के अंग कहे जाते हैं / इसी कारण अपने आगम पंचांगी के रूप में प्रसिद्ध हैं / प्रश्न- 68. श्रुत ज्ञानावरणीय का क्षयोपशम कैसे होता है ? . उत्तर- ज्ञान-ज्ञानी- ज्ञान के साधन पुस्तकादि को लिखाने से शास्त्रों का अभ्यास करने से, कराने से श्रुत ज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपशम होता है / प्रश्न- 69. श्रुतज्ञान के चौदह भेदों का वर्णन समझाएँ ? , श्रुतज्ञान चौदह प्रकार का है। उत्तर 1. अक्षर श्रुत- अ-ब-च आदि वर्णात्मक अक्षर द्रव्य श्रुत कहा जाता है | इन अक्षरों द्वारा पदार्थों का बोध अक्षर श्रुत कहा जाता है | 2. अनक्षर श्रुत- छींक आने से, ताली बजाने से, श्वास, निःश्वास लेने से आदि क्रिया द्वारा अन्तर के भाव को सामने वाले व्यक्ति को बताना अनक्षर श्रुत कहा जाता है / 3. संज्ञी श्रुत- संज्ञी जीवों को जो श्रुतज्ञान होता है वह संज्ञी श्रुत कहा जाता है / जिनके पास संज्ञा अर्थात् दीर्घकालिकी तथा दृष्टिवादोपदेशिकी संज्ञा होती है उसे ही संज्ञी कहा जाता है / 169