Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ उत्तर इसमें साधु-साध्वीजी म. के जीवन के आचारों का सुन्दर वर्णन है / व्रतों का सेवन करते हुए लगे हुए अतिचारों का प्रायश्चित्त बताया है / इन ग्रन्थों को छेद सूत्र कहा जाता है / यह गुप्त सूत्र है / सभी साधु म. इस ग्रन्थ का पठन नहीं कर सकते / गीतार्थ गुरु जिसमें विशिष्ट पात्रता देखते हैं उन्हें ही इस सूत्र का वांचन कराते हैं | पात्रता बिना यह ग्रन्थ को पढ़ने वाले को पार बिना का नुकसान होने की पूरी शक्यता है / गुप्त होते हुए अत्यन्त महत्व के यह छह छेदसूत्र हैं / प्रश्न- 62. छह छेद सूत्र के नाम बताएँ / उत्तर- 1. दशा श्रुतस्कन्ध सूत्र, 2. बृहत्कल्प सूत्र, 3. व्यवहार सूत्र, 4. जीतकल्प सूत्र, 5. निशीथ सूत्र, 6. महानिशीथ सूत्र / प्रश्न- 63. पाँचवें आरे के अन्त में कौन से आगम रहेंगे ? पाँचवें आरे के अन्त में निम्नलिखित चार आगम रहेंगे / वह मूलसूत्र के रूप में प्रसिद्ध हैं / पाँचवाँ आरा जब पूर्ण होने वाला होगा तब अन्तिम आचार्य दुप्पसहसूरिजी महाराज होने वाले हैं वह भी इन चार सूत्रों के ज्ञाता होंगे / 1. आवश्यक सूत्र, 2. उत्तराध्ययन सूत्र, 3. दशवैकालिक सूत्र, 4. पिंडनियुक्ति सूत्र / प्रश्न- 64. इन चार सूत्रों में किस-किस का वर्णन है ? 1. आवश्यक सूत्र में करने योग्य क्रियाओं का वर्णन है / 2. उत्तराध्ययन सूत्र में परमपिता भगवान महावीरस्वामीजी ने अन्तिम सोलह प्रहर सतत जो देशना दी वह उत्तराध्ययन में संग्रहीत है / 3. दशवैकालिक सूत्र में साधु जीवन के आचारों का विवरण है / उत्तर उत्तर 167