Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
View full book text
________________ मन धर्म की शुद्धक्रिया में जुड़ता है तो मुक्ति का कारण बनता है / अतः सदैव श्रद्धापूर्वक, भावोल्लास से आराधना करनी चाहिए जिससे मन द्वारा शुभ कर्मों का ही बन्ध हो / उत्तर प्रश्न- 32. जब आत्मा में कामर्ण वगर्णा प्रवेश करती है तब वह कर्म रूप बनती है, तब कर्म क्या-क्या कार्य करते हैं ? आत्मा के साथ लगी कार्मण वर्गणा कर्म रूप बनने के पश्चात् कर्मों में चार वस्तुएँ निश्चित होती हैं। 1. स्वभाव (Nature)- निश्चित होता है जिसे प्रकृति बन्ध कहा जाता है / किस कर्म का क्या स्वभाव होगा ? ज्ञान गुण को ढकेगा या सुख-दुःख देगा आदि / 2. स्थिति (Time)- वह बन्धा हुआ कर्म कितने समय तक आत्मा के साथ रहेगा / यह भी निश्चित उसी समय हो जाता है / 3. रस (Power)- वह कर्म कितना बलवान होगा / कितनी तीव्रता दिखाएगा / 4. प्रदेश (Bulk)- क्वान्टिटी अर्थात् संख्या भी निश्चित हो जाती उत्तर प्रश्न- 33. इन चारों को समझने के लिए कोई दृष्टान्त दीजिए। शास्त्रों में इन चारों भेदों को समझने के लिए लड्डू के दृष्टान्त से समझाते हैं / जैसे किसी बहन ने लड्डू बनाया तो उसे चार बातें पूछ सकते 1. तुमने जो सँठ डालकर लड्डू बनाये हैं उसका स्वभाव क्या है ? 156