Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ उत्तर प्रश्न- 27. आत्मा में कर्म किस कारण आते हैं ? आत्मा में कर्म बाँधने के बाह्य कारण अनेक प्रकार के होने पर भी आन्तरिक कारण मुख्य रूप से पाँच हैं | 1. मिथ्यात्व-विपरीत श्रद्धा | तत्व ज्ञान का अभाव / अधर्म में धर्म बुद्धि का होना और धर्म में अधर्म बुद्धि का होना मिथ्यात्व है / 2. अविरति- त्याग-पच्चक्खाण का अभाव / हिंसादि पापों से न हटना तथा नियम पच्चक्खाण आदि न करना अविरति कहलाता 3. प्रमाद- आलस, आत्मा का विस्मरण, विवेक शून्य होना प्रमाद कहलाता है / 4. कषाय- कष यानि संसार | आय= लाभ जिससे संसार की वृद्धि हो उसे कषाय कहते हैं। 5. योग- मन-वचन-काया की शुभाशुभ प्रवृत्ति को योग कहते हैं। इन प्रमुख पाँच कारणों से आत्मा में पल-पल कर्मों का आगमन हो रहा है / प्रश्न- 28. कर्म आत्मा को ही क्यों लगते हैं ? शरीर को क्यों नहीं ? उत्तर- जिस प्रकार लोग देव-गुरु को ही पंचांग प्रणिपात करते हैं सामान्य लोगों को नहीं ? क्योंकि सामान्य व्यक्ति में वह योग्यता नहीं होती जो देव-गुरु में होती है। जिस प्रकार लोह-चुम्बक में ही शक्ति होती है कि वह लोह के कणों को अपनी ओर खींचता है ठीक इसी प्रकार आत्मा में ही योग्यता और शक्ति है कि वह कार्मण वर्गणा को खींचती है / अतः कर्म आत्मा को ही लगते हैं शरीर को नहीं / 154