Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ वर्ष की स्थिति को 100 वर्ष की भी कर सकते हैं / इसी प्रकार तीन पावर के रस को दो पावर का भी कर सकते हैं / अतः कर्म का सिद्धान्त यह बताता है कि बाँधे हुए सभी कर्म भोगने ही पड़ते हैं यह आवश्यक नहीं है, केवल निकाचित कर्मों के लिए ही भोगने का नियम है। उत्तर प्रश्न- 15. गीता में वाक्य आता है- नाभुक्तं क्षीयते कर्म कल्प कोटिशतैरपि / इसका अर्थ क्या है ? करोड़ों वर्षों तक पुरुषार्थ करने पर भी भोगे बिना कर्म क्षीण नहीं होते / यह वाक्य निकाचित कर्मों को ही लक्ष्य में रखकर लिखा गया है। प्रश्न- 16. कर्म क्या है ? क्या जड़ है ? क्या जड़ का भी प्रभाव होता है ? उत्तर- कर्म तो जड़ है, चेतन नहीं है / जड़ होने पर भी उसकी ताकत अजब-गजब की है / जड़ की शक्ति का कमाल तो देखें / शरीर में कब्ज हो जाय तो एक गोली जुलाब की ले लो तो पेट साफ हो जाता है / गोली क्या है ? वह जड़ है / अफीम-विष क्या है ? खाते ही लीला समाप्त हो जाती है | कोई भी व्यक्ति आपको कुत्ता कह दे तो- कितना बुरा लगता है ? तो शब्द क्या है ? शब्द भी जड़ है / कोई कहे तुमने तो सारा जीवन सेवा में ही व्यतीत कर दिया, ऐसा सुनते ही कितने खुश हो जाते हैं ? शब्दों का कैसा चमत्कार ! चश्मा क्या है ? जड़ ही है ना ! आँखों से हटा लो तो अन्धे जैसे हो जाते हैं / दिखाई ही नहीं देता / जड़ में भी अपार शक्ति है / प्रश्न- 17. आत्मा की शक्ति कितनी है ? उत्तर- जड़ से भी अनन्त शक्ति आत्मा की है / मान लीजिये, चश्मा भी है, 150