Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ उसकी पवित्रता भी सदा बनी रहेगी / गंगा माँ की धाक पूरे परिवार में चलती थी। संध्या का समय हुआ / लालभाई सेठ खाना खाने के लिए आए / माँ ने थाली में भोजन के स्थान पर साड़ी चुंदड़ी और चूड़ियाँ रख दी और ऊपर से रेशमी रूमाल से थाली को ढक दिया / सेठ खाना खाने के लिए बैठे, जैसे ही थाली के ऊपर से रूमाल उठाया कि थाली में भोजन की जगह साड़ी और चूड़ियों को देखकर माँ से पूछा- माँ ! यह क्या ? माँ बोली- बेटा ! तू संघ का नायक ही क्यों बना है यदि तेरे में तीर्थ रक्षा की शक्ति ही नहीं है / यदि तू तीर्थ स्थान पर जाकर अंग्रेजों को बंगला बनाने से रोक ही नहीं सकता तो यह साड़ी और चुंदड़ी पहन ले, हाथों में चूड़ियाँ पहन ले और नारियों की तरह कायर बन कर घर में बैठ जा / आज तुमने बेटा ! अपनी माँ की कुक्षी को लज्जित कर दिया है / ____ माँ के शब्दों में उग्रता थी तो सच्चाई भी थी / जिसे सुनकर सेठ की सोई आत्मा जाग उठी / दूसरे ही दिन लालभाई सेठ सम्मेतशिखर तीर्थ की सुरक्षा हेतु वहाँ पर पहुँच गया / अंग्रेजों से वार्तालाप करके गेस्ट हाऊस का बनाने का काम बन्द करवा दिया / समस्त संघ में चारों तरफ आनन्द का वातावरण व्याप्त हो गया / ऐसी थी गंगा माँ / ..द्वितीय प्रसंग- गंगा माँ का स्वयं का जीवन भी धर्मिष्ठ था और वह अपने बच्चों को परिवारजनों को भी धर्म के संस्कारों से सिंचित करती रहती थी / बड़े से लेकर छोटे तक कोई भी उसकी आज्ञा को भंग नहीं करता था / यह भी उसका आदेय नाम कर्म का उदय था / - लालभाई दलपतभाई अहमदाबाद के माने हुए प्रसिद्ध उद्योगपति थे / एक दिन राजस्थान का एक व्यापारी प्रातःकाल धन्धे के कारण लालभाई को मिलने के लिए आ गया | उसके साथ व्यापार सम्बन्धी चर्चा वार्ता करते-करते बहुत समय व्यतीत हो गया अर्थात पौने दस बज गए / अभी नई-नई मिल चालू की थी / सेठ ने कड़क नियम रखा था कि दस बजे मिल में हाजिर हो जाना / 133