Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
View full book text
________________ माँ मिले तो गंगा माँ जैसी अहमदाबाद के उद्योगपति जैन संघ के अग्रगण्य, सर्वजनमान्य सेठ लालभाई अहमदाबाद में रहते थे / उनकी माता का नाम था गंगाबाई / जिस समय हिन्दुस्तान पर अंग्रेजों का साम्राज्य था उस समय की घटना है / सम्मेतशिखरजी जैन धर्म का प्रसिद्ध एवं पवित्र तीर्थ है | बीस-बीस तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि है / ऐसे शिखरजी तीर्थ के पवित्र पहाड़ के ऊपर अंग्रेजों ने अपने लिए गेस्ट हाउस बनाने का निश्चय किया / यह बात हवा की भाँति समस्त जैन समाज में फैल गई / जैन संघों में हलचल मच गई / अरे अंग्रेजों के गेस्ट हाऊस में मद्य और मांस की महफिलें उड़ेंगी / तीर्थ की पवित्रता का नाश हो जाएगा / इसके लिए अभी से ही रोकथाम लगानी चाहिए / सभी संघों के प्रमुख व्यक्ति मिलकर सेठ लालभाई के घर पहुँचे और सेठ के सामने सारी समस्या रखते हुए कहा- सेठजी ! तीर्थ रक्षा का एवं उसकी पवित्रता का प्रश्न है / आप समर्थशाली हैं, हम सभी आपके साथ हैं इस समय कुछ करना चाहिए | सुनकर सेठ ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि राज्य सत्ता के सामने हम कुछ नहीं कर सकते / जो होगा सो देखा जाएगा / इस प्रकार टाल-मटोल करके सेठ ने सभी को चुप करा दिया / सभी वहाँ से उठे और परस्पर विचार करने लगे / एक तीर्थ रक्षक धर्म प्रेमी व्यक्ति को सारी रात नींद नहीं आई / उसने खूब मन्थन किया / मन्थन करते-करते उसे एक रास्ता मिल गया / वह प्रात:काल शीघ्र उठा और सीधा गंगा माँ के पास गया और सारी बात गंगा माँ को सुना दी। ___गंगा माँ धर्मयुक्त थी और कड़क भी बहुत थी / धर्म की खुमारी उसके रोम-रोम में भरी हुई थीं उसने आगन्तुक तीर्थ प्रेमी को आश्वासन दिया कि आप निश्चिन्त होकर जाओ / तीर्थ की सुरक्षा अवश्य होगी और 132