Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ 15 मिनट का समय बाकी होने से सेठ ने प्रभु पूजा छोड़ दी और खाने के लिए बैठ गया / वृद्ध गंगा माँ का नियम था कि घर का प्रत्येक काम छोड़कर घर के प्रत्येक व्यक्ति को भोजन के समय स्वयं भोजन परोसकर बड़े प्यार से खिलाती थी / जब लालभाई सेठ खाने को बैठा कि अचानक माँ की नजर सेठ के कपाल पर पड़ी / (गंगा माँ का नियम था कि पूजा किए बिना परिवार का कोई भी व्यक्ति भोजन नहीं कर सकता था और प्रत्येक व्यक्ति पूजा से पहले मस्तक पर तिलक का चाँदला करता ही था) आज सेठ के मस्तक पर चाँदला नहीं था अर्थात् केसर का तिलक नहीं था / माँ को शंका पड़ी, उसने तुरन्त कड़क स्वर से पूछा- क्यों लाला- क्या आज पूजा नहीं की ? माँ के प्रश्न के आगे सेठ गल्ला तल्ला अर्थात् इधर-उधर की बातें करने लगा- बोला माँ ! आज मुझे बहुत देरी हो गई अभी सेठ का वाक्य अधूरा ही था कि गंगा माँ ने गरज कर ऊँचे स्वर से कहा कि जब तक मैं इस घर में हूँ, तब तक इस घर का छोटा बच्चा भी पूजा किए बिना खा नहीं सकता / मेरे इस घर में धार्मिक संस्कार और दान धर्म यह दोनों वंश परम्परागत आगे चले यह देखने का कर्तव्य तुम्हारा है / यदि तू ही संस्कारों को भंग करेगा तो आगे कैसे चलेगा ? __अन्न का अपमान नहीं करना चाहिए इसलिए जो तेरे हाथ में कवल है इसे खा ले और शेष भोजन अभी ऐसे ही छोड़कर तुरन्त स्नानघर में जा और पूजा करके आ फिर आगे का बाकी भोजन करना / यदि तुझे मन्जूर न हो तो आज ही शाम को मैं पालीताणा चली जाती हूँ वहाँ पर अकेली ही किसी धर्मशाला में रह लूँगी, परन्तु मैं अपनी नजर के सामने इस घर में प्रभु पूजा के संस्कार स्रोत को जरा भी सूखने नहीं दूंगी / लालभाई सेठ माँ के इन शब्दों को सुनकर तुरन्त भोजन छोड़कर खड़े हो गए और आज्ञांकित बालक के समान प्रभु पूजा करके आए और फिर खाना खाकर मिल में गए / 134