Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ ने, सूत्रधारों ने जय-जय आदिनाथ का घोष करके बिम्ब बनाने के लिए टांकना लगा कर शुरूआत की / जय आदिनाथ के नारों से आकाश गुंजायमान हो गया / गुरु के आदेश से समरा पुजारी को खूब-खूब पुरस्कार देकर बहुमान किया / चारों तरफ आनन्द का वातावरण बन गया / मलीन तत्वों की तरफ से अब कोई विघ्न न आए उसके लिए सभी ने तप-जप आदि आराधना चालू कर दी / कई मुनियों ने दो-दो मास का तप, किसी ने छः मास का तप, किसी छट्ठ अट्ठम आदि विविध प्रकार का तप चालू कर दिया / दुष्ट व्यन्तरों के उपद्रवों को दूर करने के लिए उपाध्याय विवेकमण्डनविजयजी म. ने सिद्धचक्रजी का ध्यान, किसी ने आयम्बिल का तप चालू कर दिया / उपाध्यायजी ने शिल्प शास्त्र और वास्तु शास्त्र में विशारद् अपने दो विनीत शिष्यों को शिल्पियों को योग्य सलाह सूचन देने के लिए नियुक्त कर दिया / करमा शा ने शिल्पियों के लिए खाने की, रहने की, बैठने की सुन्दर व्यवस्था कर दी / वास्तु शास्त्र के अनुसार समचतुरस्र विभाग करके प्रतिमाजी तैयार होने लग गई / जैसे-जैसे दिवस बीतने लगे प्रतिमाजी का आकार सामने आने लगा / पूर्णिमा के चाँद जैसा मुख, अष्टमी के चन्द्र जैसा भाल, कमल की पाँखुड़ी जैसे नयन, दीर्घ बाहुयुगल आदि शास्त्रानुसार सभी अवयव बिखरने लगे / सभी की शुभ भावनाओं और चारों तरफ के शुभ परमाणुओं के साथ मूर्ति सम्पूर्ण सर्वांग सुन्दर तैयार हो गई / जिनबिम्ब के साथ-साथ विशाल रंगमण्डप की भी सफाई आदि करके तैयार किया / मूल गम्भारे में पुनः मरम्मत आदि कार्य कराया गया / प्रभु प्रतिमा आदि सर्व कार्य सम्पूर्ण सम्पन्न हो जाने पर प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकालने के लिए करमा शा ने ज्योतिषियों को, पण्डितों को, विद्वानों को निमन्त्रण दिया / सभी शीघ्र ही एकत्रित हो गए | शुभ दिन शुभ घड़ी में सभी की मीटिंग हुई / जिसमें अनेकों आचार्य, उपाध्याय, पंन्यास, गणिवर्य, मुनि महात्मा भी सम्मिलित हुए / सभी ने परस्पर चर्चा विचारणा 118