Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ अपना सहायक बनेगा / परन्तु एक बात निश्चित् है कि पुराने कपर्दी मिथ्यात्वी यक्ष के मलीन देवी-देवताओं में विपुल बल है / वह आसानी से इस तीर्थ को छोड़कर नहीं जाएगा / वह अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगाकर हम सभी को समाप्त करने का प्रयत्न करेगा / परन्तु हम सभी को पंच परमेष्टि भगवान की शरण को स्वीकार करना है। हमें चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं है | कष्टों को सहन करने के बाद अन्तिम विजय अपनी ही होगी / चलो अभी इसी समय हम तीनों आदिनाथ दादा की साक्षी लेकर तीन नवकार मन्त्र पढ़कर संकल्प करते हैं कि हम विजय की वरमाला पहनेंगे, तीर्थ का उद्धार करके ही रहेंगे / अन्त में सूरिजी ने जावड़ को देखकर कहा कि आज से आप दम्पति को सम्पूर्ण शीलव्रत का पालन करना है / यह तुम्हारा व्रत सभी विपत्तियों को दूर करेगा / अब तुम शत्रुञ्जय तीर्थ का छ:री पालित यात्रा संघ निकालो / __ 12 वाहण भरे हुए सोने को जावड़शा भी किसी अच्छे कार्य में लगाना चाहता था / उसने गुरु आज्ञा को शिरोधार्य करके छःरी पालित यात्रा संघ की तैयारी प्रारम्भ कर दी / हजारों पुण्यात्मा उस संघ में जाने के लिए तैयार हो गए / महुवा के चारों तरफ के गाँवों के लोग, सैकड़ों साधु-साध्वीजी महाराज भी उस संघ में जुड़ गए / ___एक दिन शुभ मंगल मुहूर्त में हजारों यात्रियों और सैकड़ों साधु-साध्वियों सहित आचार्यश्री वजस्वामीजी ने संघ सहित प्रयाण किया / मार्ग में नवकार मन्त्र का अखण्ड जाप चालू किया / विघ्न विदारक सामूहिक आयम्बिल तप होने लगा / गुरुदेव ने अपनी साधना को बढ़ा दिया / नूतन कपर्दी यक्ष सदा हाथ जोड़कर गुरु सेवा में तत्पर रहता था / तीर्थ का नाश करने वाले दुष्ट कपर्दी यक्ष को जब यह सब समाचार मिला तो उसने क्रोधित होकर अपनी पूरी ताकत से इनके ऊपर आक्रमण करने का निश्चय किया / आचार्य वजस्वामीजी ने कई घन्टों की तप जप की सूक्ष्म साधना के द्वारा स्वयं का तथा संघपति जावड़ का कवच कर दिया / जिससे कपर्दी उनका कुछ 88