Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ योगानुयोग उसी दिन समरा शा का बड़ा भाई साहणसिंह देवगिरि से छ:री पालित संघ लेकर वहाँ पर ही पहुँचा | दोनों भाई प्रेम से मिले / उसी दिन खम्भात से एक महान विशाल संघ वहाँ पर आया / तीनों संघों ने मिलकर पालीताणा में प्रवेश किया / तलहटी पहुँचे / धूमधाम से गिरिराज पर आरोहण किया / प्रतिष्ठा महोत्सव की भव्य तैयारियाँ हो रही थी / नर-नारी मंगल गीत गा रहे थे / रंगमण्डप के मध्य भाग में वेदिका बनाई गई / दरवाजों पर तोरण बान्धे गए / देशल शा अपने समग्र परिवार सहित यथा स्थान पर बैठ गया / आचार्यश्री सिद्धसेन- सूरीश्वरजी ने प्रतिष्ठा विधि का कार्य चालू किया / समस्त संघों के सभी लोग वहाँ पर उपस्थित हो गए | शुभ मुहूर्त में प्रभु प्रतिमा की गुरु ने अंजन विधि की / शुभ मुहूर्त में वि. सं. 1371 महा सुदी चौदस को प्रभुजी की प्रतिष्ठा का कार्य धूमधाम से गाजते-बाजते सम्पन्न हुआ / सभी लोग नाचने-गाने लगे / पू. श्री नागेन्द्रसूरिजी ने मुख्य ध्वजादण्ड की प्रतिष्ठा कराई / दस दिन तक प्रतिष्ठा महोत्सव का कार्य चला / इस प्रतिष्ठा महोत्सव में 500 पदस्थ मुनिवर थे / दो हजार साधु महाराज थे, साध्वीजी म. तथा श्रावक-श्राविकाओं की संख्या का कोई पार नहीं था / सात सौ चारण थे, तीन हजार भाट थे, एक हजार गायक थे / इस प्रतिष्ठा महोत्सव में कुल सत्ताइस लाख सीत्तेर हजार द्रव्य का व्यय हुआ था / सिद्धगिरि पर दादा की प्रतिष्ठा बाद देशल शा ने वहाँ से ही गिरनार का छःरी पालित यात्रा संघ निकाला / स्थान-स्थान पर शासन प्रभावना करके जब पुनः पाटण आया तो वहाँ पर साधर्मिक-वात्सल्य रखा / वि. सं. 1375 में देशल शा ने पुनः दो हजार व्यक्तियों के साथ सिद्धगिरि का विशाल छ:री पालित यात्रा संघ निकाला / उसमें ग्यारह लाख द्रव्य का सद्व्यय किया / इनके इन सुकृत कार्यों से प्रसन्न होकर दिल्ली के बादशाह कुतुबुद्दीन ने समरा शा को दिल्ली बुलाया / भव्य स्वागत के साथ उसका दिल्ली में प्रवेश कराया और उसे व्यापारियों में अग्रेसर पदवी अर्पण कर सम्मानित किया / 106