Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
View full book text
________________ श्री शत्रुज्जय तीर्थ का 16वाँ उद्धार आचार्यश्री विद्यामण्डनसूरिजी तथा करमा शा ( विक्रम सम्वत् 1587 ) __ (पुनः मलीन तत्वों ने तूफान चालू किया, उनके बल को प्राप्त करके मुस्लिमों ने सभी मन्दिरों और तीर्थों को खण्डित करना चालू कर दिया प्रभु भक्त कपर्दी यक्ष, चक्रेश्वरी देवी आदि मिथ्यादृष्टि मलीन देवी-देवताओं के शैतानी बल के आगे दबाए गए और सामना करने पर भी मजबूर होकर वे भी भाग गए / मुसलमानों ने किस प्रकार दादा की प्रतिमा को खण्डित किया उसका रोम-रोम को कम्पित कर देने वाला दृष्टान्त निम्न प्रकार है / (कुतुबुद्दीन, गयासुद्दीन आदि के बाद अनेकों मुगल बादशाहों ने राज्य किया / वि. सं. 1583 में बहादुरशाह गद्दी पर बैठा / वह बड़ा साहसिक और शूरवीर था / गुजरात के अर्वाचीन इतिहास नामक पुस्तक से प्रतीत होता है कि एक बार वह अपने पिता से रूठ कर हिन्दोस्तान में आ गया, कितने ही नौकरों को भी अपने साथ ले गया / घूमता-घूमता एक दिन वह चितौड़ पहुँच गया / ) __ गिरिराज पर समरा शा के द्वारा प्रतिष्ठित तथा पधारे हुए आदीश्वर दादा की प्रतिमा की पूजा सेवा अच्छी तरह से हो रही थी / सभी भक्तजनों के मन हर्षोल्लास से भरे हुए थे / परन्तु कई वर्षों के पश्चात् पुनः मलीन तत्वों ने तूफान चालू किया / उनके बल को प्राप्त करके मुगलों ने पुनः मन्दिरों और मूर्तियों को तोड़ना चालू कर दिया / वि. सं. 1463 में मुसलमान सेनापति दफर खां ने सिद्धगिरि पर जाकर हथोड़ों के द्वारा मार-मार कर मूलनायक परमात्मा के बिम्ब के टुकड़े-टुकड़े कर दिए / जिससे चारों तरफ हाहाकार मच गया / प्रभु भक्त कपर्दी यक्ष, चक्रेश्वरी देवी भी मलीन तत्वों के शैतानी बल के आगे मजबूर बन गए / जिससे वे भी कुछ न कर सके / 108