Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ से शिखर की चौड़ाई बहुत बड़ी है इससे अनुमान लगाया जाता है कि भमती जरूर भीतर होनी चाहिए / ) इस प्रकार सम्पूर्ण मन्दिर तैयार हो जाने के पश्चात् बाहड़ मन्त्री ने बहुत बड़ा संघ निकाला और सिद्धगिरिराज पर जाकर परमात्मा के मन्दिर को देखकर अति हर्षित हुआ / __वि.सं. 1213 में परम पूज्य कलिकाल सर्वज्ञ आचार्यश्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी के कर-कमलों से विशाल महोत्सवपूर्वक शुभ मुहूर्त में प्रतिष्ठा सम्पन्न कराई / इस प्रकार 14वाँ उद्धार बाहड़ मन्त्री ने महा महोत्सवपूर्वक कराया / पुनः जीर्णोद्धार में कुल एक करोड़ साठ लाख का व्यय किया / - इस प्रतिष्ठा में तेरहवें उद्धार के समय जावड़ शा के द्वारा तक्षशिला से लाई हुई जिनप्रतिमा को पुनः प्रतिष्ठित किया गया आज सैकड़ों वर्ष बीत जाने के पश्चात् भी यह देरासर अभी तक सैकड़ों भक्तों का अवलम्बन रूप बना हुआ है / वर्तमानकालीन मन्दिर तो बाहड़ मन्त्री का ही है परन्तु प्रतिमाजी वस्तुपाल तेजपाल की है / वह कैसे बनी इसका इतिहास आगे के कथन में जानने को मिलेगा। दीर्घ दृष्टा वस्तुपाल वस्तुपाल तेजपाल पाटण के रहने वाले थे / इनकी माता का नाम था कुमारदेवी तथा पिता का आशराज था / यह चार भाई थे / 1 मल्लदेव, 2 वस्तुपाल, 3 तेजपाल, 4 लूणिग / इनकी सात बहनें थीं / ___ आबू का मन्दिर वस्तुपाल तेजपाल ने अपने भाई लूणिग की भावनानुसार उसकी स्मृति में बनवाया था / वस्तुपाल ने अपने जीवन में 12/2 (साढ़े बारह) यात्रा संघ छःरी पालित निकाले थे / प्रभु भक्ति तो इनके जीवन में कूट-कूटकर भरी हुई थी / कालक्रम से वस्तुपाल धोलका में वीरधवल राजा के महामन्त्री बने 97