Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ पंन्यासजी ने कहा- सेठजी ! आप अट्ठम तप करके प्रभु पार्श्वनाथ की अधिष्ठायका देवी पद्मावती की आराधना करो / यह मन्त्र है, इसका जाप करो / गुरु महाराज के आदेशानुसार जगत सेठ ने अट्ठम तप करके मन्त्र पाठ से देवी की आराधना की / प्रसन्न होकर देवी ने स्वप्न में दर्शन दिया / और . कहा-हे वत्स ! मुझे क्यों याद किया है ? जगत सेठ ने अपने मन का संकल्प . देवी के सामने रख कर कहा- हे मात ! मुझे मार्गदर्शन दो / माता पद्मावती ने कहा- प्रातःकाल तुम पहाड़ पर जब जाओगे तब जहाँ-जहाँ पर केसर के स्वास्तिक दिखाई दें वही स्थान तीर्थंकरों के निर्वाण स्थल समझना / सेठ ने कहा- माँ ! मुझे यह कैसे प्रतीत होगा कि किस तीर्थंकर का निर्वाण स्थल कहाँ है ? देवी ने कहा- वत्स ! जिस स्थान पर जितने स्वास्तिक हो उसी संख्यानुसार भगवान के निर्वाण स्थल समझ लेना / इतना कह पद्मावती माताजी अन्तर्ध्यान हो गई / प्रात:काल स्नान आदि करके पूजा सामग्री साथ लेकर जगत सेठ परिवार सहित पहाड़ पर चढ़े | स्वप्न के अनुसार जहाँ पर जितनी संख्या में केसर के स्वास्तिक देखे वहाँ-वहाँ पर सेठ ने उसी तीर्थंकर का नाम अंकित कर दिया / यात्रा करके वापिस आकर सेठ ने पंन्यास श्री देवविजयजी को स्वप्न सम्बन्धी तथा पहाड़ पर नाम अंकित सम्बन्धी सारी बातें बताई / गुरुदेव ने प्रसन्न होकर कहा- सेठजी ! आप तो महान पुण्यशाली हैं जो कार्य बड़े-बड़े आचार्य नहीं कर सके वह आपने कर दिया है / सेठ ने कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा- गुरुदेव ! मुझमें जरा भी शक्ति नहीं है यह सब तो आपश्रीजी की कृपा एवं आशीर्वाद से ही हुआ है / 46