Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ काज होंगे ! निर्वाण भूमि को वन्दना और तीर्थ की स्पर्शना होगी तथा हमें आपका योग्य साथ मिलेगा / महारानी यशोमती भी युवराज चन्द्रशेखर की भावना को देख रही थी उसने हाथ जोड़कर राजा से कहा- स्वामीनाथ ! यदि आपकी आज्ञा हो तो मेरी भी भावना है कल्याणक भूमि का दर्शन तथा स्पर्शना करने की / राजा बोलामहारानी ! इस शुभ कार्य के लिए कौन मना करेगा ? आप राजकुमार को लेकर तथा परिवार के अन्य कोई भी सदस्य जाना चाहे उन सबको साथ लेकर आप परमात्मा पार्श्वनाथ की निर्वाण स्थली पर अवश्य जाइये / राजा महसेन ने दण्ड अधिकारियों को आदेश देते हुए कहा कि जाओ राज परिवार की यात्रा की व्यवस्था कीजिए / अच्छे घुड़सवार तथा सुरक्षाकर्मी साथ में भेजना, क्योंकि मार्ग में भयंकर लम्बी अटवी तथा अनार्य प्रदेश पड़ता है इसीलिए सभी प्रबन्ध सुचारू रूप से करके चलो / ... शुभ मुहूर्त में महारानी, युवराज चन्द्रशेखर तथा युवराज्ञी आदि राज परिवार ने अनेकों सुरक्षाकर्मियों को साथ लेकर श्रेष्ठीवर्य प्रमुख श्रावक संघ के साथ पार्श्वनाथ भगवान का नाम स्मरण करके उनका जयघोष करके प्रस्थान किया / मार्ग में अनेक अटवियों को, भयानक जंगलों को पार करता हुआ यात्रा समूह सम्मेतशिखर की तलहटी पर पहुँच गया / युवराज ने घोड़े से उतरकर निर्वाण भूमि की मिट्टी को मस्तक पर लगाया और मन ही मन तीर्थ भूमि को प्रणाम करता हुआ बोला- धन्य है यह पवित्र भूमि जहाँ बीस तीर्थंकरों ने अनेक भव्यात्माओं सहित मोक्ष पद को प्राप्त किया ऐसी भूमि का स्पर्श करके आज मेरा जीवन कृतकृत्य हो गया है / उसी समय सम्मेतशिखर की तलहटी क्षेत्र में स्थित पालगंज के राजा ने सपरिवार आकर उनका हार्दिक स्वागत किया / दूसरे दिन प्रातःकाल ही पालगंज नरेश के सुरक्षा सेवक आ गए और बोले- युवराज ! पहाड़ी का मार्ग अति विकट है, हम सुरक्षाकर्मी आपके साथ जाएँगे / आपकी सम्मेतशिखर की यात्रा में मार्गदर्शक बनेंगे / 49