Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ गिरा है / सभी लोग इधर-उधर नाले और खाइयों में झाँकने लगे / टकटकी लगाकर स्थान-स्थान पर देखने लगे / तब एक व्यक्ति ने कहा- देखा-देखो, वो नीचे घोड़े का मुँह दिखाई दे रहा है / सभी को विश्वास हो गया कि हमारा युवराज भी यहाँ पर कहीं गिरा होगा / सभी सोचने लगे कि ओह ! सैकड़ों हाथ नीचे गहरी खाई में कैसे उतरेंगे / सभी नीचे उतरने की योजना बनाने लगे। कुछ ही क्षणों में विचार करके उन्होंने पास वाले बड़े-बड़े वृक्षों से रस्सी को बान्धा, चार-पाँच व्यक्ति उस रस्सी के सहारे नीचे खाई में उतर गए / परस्पर इधर-उधर देखकर बोले- अरे देखो, घोड़ा यहाँ मरा पड़ा है, अरे उधर देखोवहाँ किसी व्यक्ति का पैर जैसा दिखाई दे रहा है / फिर चारों तरफ आजू-बाजू की झाड़ियों में झाँककर देखा- अरे ! यह तो अपने राजकुमार हैं, राजकुमार का शरीर कैसा लहूलुहान हो गया है | सभी राजकुमार के क्षत-विक्षत मृत शरीर को झाड़ियों में से निकालकर बाहर लाए | उसकी आकृति को देखकर सभी राजसेवक गमगीन गए / सभी के होश हवास उड़ गए / वहाँ से बड़ी कठिनता से राजकुमार के शव को पहाड़ से उतारकर सीता नाला के पास खड़े जन समूह के सामने लाकर रख दिया / सर्वत्र शोक छा गया / महारानी तथा रानियाँ आदि सर्व परिवारजन विलाप करने लगे / पालगंज के राजा भी सैकड़ों लोगों सहित वहाँ पर आ गया / मधुबन में युवराज के मृत शरीर को देखकर सभी करुण-क्रन्दन कर रहे थे / राजा ने सभी को धैर्य धारण करने को कहा / तत्पश्चात् महाराज ने राज सेवकों से पूछा- अब युवराज का अग्नि संस्कार कहाँ किया जाए ? एक कर्मचारी ने कहा- महाराज ! मधुबन में प्राचीन विशाल वट वृक्ष है, इसी स्थान पर युवराज का संस्कार किया जाए तो ठीक रहेगा। हजारों लोगों की उपस्थिति में वटवृक्ष के नीचे युवराज चन्द्रशेखर का अग्नि संस्कार हुआ | सभी सुबक-सुबक कर रोने लगे / थोड़ी ही देर में अग्नि 52