Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari
Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji
Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji
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________________ तरफ घूमने लगा / निर्दयी रीति से घुमा-घुमाकर दूसरे दिन उस साधु को भैरव देव ने परलोक पहुँचा दिया / इस प्रकार प्रतिदिन एकेक साधु की अति करुण रीति से मृत्यु (कालधर्म) होने लगी / आचार्य हेमविमलसूरिजी महाराज के लिए अपने साधु परिवार की यह यातना असह्य हो गई / यद्यपि वे जानते थे कि मृत्यु एक दिन सभी के जीवन में आने वाली ही है कोई उसे रोक नहीं सकता परन्तु प्रतिदिन एकेक साधु का इस प्रकार कालधर्म होना वह देख न सके / साधुओं की इस प्रकार की भयंकर मृत्यु को रोकने के लिए किसी औषधि ने भी काम नहीं किया / सभी उपाय अशक्य हो गए / कोई भी इसके भेद को जान न सका / ____ अन्त में आचार्य हेमविमलसूरिजी ने ज्ञान निमित्त से विचार करके इस उपद्रव को दूर करने के लिए शासन देवी की आराधना की / शासन देवी ने प्रगट होकर कहा- गुरुदेव ! कहिए आपने मुझे क्यों और किसलिए याद किया ? - गुरुदेव बोले ! हे शासन देवी ! तुम सदैव जागृत अधिष्ठायिका हो, पिछले कई दिनों से समुदाय के त्यागी, तपस्वी अनेक मुनिवर किसी मैली शक्ति के वशीभूत होकर मरण की शरण जा रहे हैं / आपका ध्यान इस तरफ क्यों नहीं गया, अभी देखो सारा संघ भयाक्रान्त है, दुःखी है, निरुपाय है, हे देवीअब. आप यह बताओ कि यह उपद्रव कौन कर रहा है और यह कब शान्त होगा ? देवी ने कहा- गुरुदेव ! आप शान्त हो जाइए, मेरे अपराध को क्षमा कीजिए, इस उपद्रव के पीछे कोई देवी शक्ति है / उस देवी शक्ति को प्रेरित करने वाली मानवीय शक्ति की मन्त्र साधना है / हे भगवन ! आप भी चिंता मत कीजिए / यहाँ से विहार करके जब आप गुजरात की तरफ जाओगे तब आपको इस उपद्रव को दूर करने वाले देव का प्रत्यक्ष दर्शन होगा / देवी के इस प्रत्युत्तर से आचार्य श्री के मन का कुछ समाधान हुआ / अपने 37