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२० : सिद्धान्ताचार्य पं० फूलचन्द्र शास्त्री अभिनन्दन-ग्रन्थ
सादगी और सरलताको जीवन्तमूर्ति .श्री बालचन्द्र जैन, एम० ए०, जबलपुर
पं० फलचन्द्रजीकी विशिष्टता, उनकी विद्वत्ता और गंभीर अध्ययनमें ही नहीं अपितु उनकी सादगी और सरलतामें निहित है । विद्वान् तो बहुतसे हो जाते हैं किन्तु विद्या ददाति विनयंका जो सही उदाहरण मैंने आदरणीय पंडितजीमें पाया वह अन्यत्र दुर्लभ रहा । माननीय पंडितजी विद्यार्थियोंको भी अपना साथी और छोटा भाई मानते रहे, ऐसा मेरा अनुभव है। जब कभी भी हम लोग किसी विशिष्ट अथवा उलझे हुए प्रसंग पर पंडितजीकी सलाह लेने पहँचते थे तो वे सुलझे हुए विचारोंसे हम लोगोंको गौरवान्वित करते थे । विचारोंकी सरलता और सौम्यता भलायी नहीं जा सकती। पंडितजीकी सादगीने हममेंसे बहुतोंके जीवन पर भारी प्रभाव छोड़ा है जो हमारे लिये आगे हितकारी सिद्ध हआ।
सिद्धान्त ग्रन्थोंके मर्मज्ञ होनेके साथ पंडित श्री फूलचन्द्रजी शास्त्री आधुनिक विचारोंका भी सम्मान करते हैं। वस्तुतत्त्वका वैज्ञानिक विचार उनको विशेषता रही है।
मैं आदरणीय पंडितजीके दीर्घकालीन जीवनकी प्रार्थना करता हूँ। मेरे प्रणाम .श्री बाबूलाल जैन गोयलीय, अहमदाबाद
श्रद्धेय पं० फूलचन्द्र जी सिद्धान्तशास्त्री समाजके जानेमाने प्रतिष्ठित विद्वान् है जिन्होंने अपना सारा जीवन जैन वाङ्मयके उद्धारमें समर्पित किया है। सरस्वती आप पर प्रसन्न है। पूर्वजन्म या वर्तमानमें प्रबल वीतराग देव-गुरुभक्तिके बिना यह सम्भव नहीं । वे सभी महात्मा धन्य हैं जिन्हें यह सुयोग मिला और जिसके परम अवलम्बनसे स्वपरकल्याणार्थ मार्गमें प्रवृत्त हुए।
महान् ग्रन्थोंके सम्पादन-संशोधन, स्वतंत्र लेखन आदि पुष्कल साहित्य निर्माण द्वारा यथार्थ रूपमें आपने श्रुतभण्डारोंको समद्ध किया है, जिसके स्वाध्यायसे आत्मार्थी जनोंको आचार्य भगवन्तोंके प्ररूपित मार्गका और आपके स्वतंत्र चिन्तनका लाभ मिला है, मिलता रहेगा।
परमश्रत प्रभावक मण्डल, अगाससे प्रकाशित 'लब्धिसार' ग्रन्थके सम्पादनमें मेरी प्रार्थना पर आपने जो सहयोग दिया-आत्मभाव पिरोया उसके लिए तो आपका बहुत बड़ा अविस्मरणीय उपकार है। अत्यन्त हर्षकी बात है कि अनेक बाधाओंके बीच भी यह कार्य सम्पन्न हो गया।
सारे समाजके श्रद्धापात्र, अपनी कोटिके अनन्य विद्वान्, श्रुतभक्तिरत महात्मा श्रीमान् पज्य पण्डितजीके प्रति में अपनी मंगल भावना जोड़ता हैं । उनका जीवन अधिक समय तक विद्वज्जनोंके लिए भी प्रेरणाका स्रोत बनता रहे । उनको मेरा सादर प्रणाम ।
एक नमन मेरा भी • श्री नरेन्द्र प्रकाश जैन, फिरोजाबाद
आधी सदीसे भी अधिक समय तक माँ जिनवाणीकी अकथनीय सेवा करनेवाले श्रद्धेय पण्डितजीके अभिनन्दनसे सम्पूर्ण समाज गौरवान्वित होगा। उनकी विद्वत्ता अप्रतिम है। वह वाणी और लेखनी दोनोंके धनी हैं और निधड़क होकर अपनी बात कहते रहे हैं। पैसा, पद और प्रभुत्व उनपर कभी हावी नहीं हो पाया । उन्होंने जीवन भर शब्दोंकी उपासना की है, इसीलिए आज शब्द उनकी आरती उतार रहे हैं। ऐसे मनीषीके चरणोंमें एक प्रणाम मेरा भी सविनय अर्पित है।
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