Book Title: Bansidhar Pandita Abhinandan Granth
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bansidhar Pandit Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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६८ : सरस्वती-वरवपुत्र पं० बंशीधर व्याकरणाचार्य अभिनन्दन-ग्रन्थ वे सर्वतोभावन अभिनन्दनीय हैं •श्री वीरेन्द्र कुमार इटोरया, मंत्री, जैन पंचायत, दमोह .श्री महेन्द्र कुमार सिंघई, कोषाध्यक्ष, जैन मिलन, दमोह
परय आदरणीय सरस्वती-वरदपुत्र पं० बंशीधरजी व्याकरणाचार्य ने राष्ट्र, समाज एवं जैन साहित्यको निरन्तर सेवा एवं उपासना हेतु जो अपने जीवनके ६० वर्षोंसे भी अधिकका समय प्रदान किया है वह चिरस्मरणीय है। आपके द्वारा प्रणीत ग्रन्थ एवं साहित्य सुदीर्घ काल तक जैन जगत, अध्यात्म प्रेमी समाज एवं शोध छात्रोंको मार्गदर्शन करते रहेंगे।
कुरूिढ़वादी प्रथाओं एवं सामाजिक कुरीतियोंकी समाप्ति हेतु अपने जीवन में निरन्तर संघर्ष आपकी एक विशेषता रही है।
स्वतंत्रता संग्रामके दौरान मातृभूमिकी रक्षा एवं राष्ट्रीय भावनाओंके वशीभूत होकर आपमे जो संघर्ष किया है एवं वर्षों जेलकी यातनायें सहन की हैं वे प्रशंसनीय है, फलतः सम्पूर्ण राष्ट्र आपकी सेवाओं का ऋणी है।
अपनी ८४ वर्षीय उनमें भी आप लेखन चितन अध्ययन एवं ज्ञान-दानकी जो सेवायें प्रदान कर रहे हैं वे अभिनन्दनीय हैं। आपका पूर्ण जीवन सादगी पूर्ण होते हुए भी जीवन का हर क्षण समाज एवं राष्ट्र हेतु समर्पित है, अतः आप सर्वतोभावेन अभिनन्दनीय हैं । अभिनन्दन ग्रंथ समर्पण मात्रसे हम आपकी सेवाओंसे उऋण नहीं हो सकते, यह तो मात्र प्रतीक है। आपके एवं आपके कार्योंके प्रति हमारी अपार श्रद्धा है। हमारी शुभकामनायें एवं नमन स्वीकार करें । मूलाम्नाय-संरक्षण हेतु सदैव जागरूक .सिंघई देवकुमार रांधेलीय अध्यक्ष, सिंघेन चम्पाबाई ध० प० सिं० तुलसीरामजैन पारमार्थिक न्यास, कटनी
श्रद्धेय पं० व्याकरणाचार्यजीने आजीवन समाज-सुधार, समाजोत्थान, शिक्षा-प्रसार, संस्कृति संरक्षण, मलाम्नाय रक्षण और राष्ट्र सेवाके महनीय कार्य किये हैं। इसलिए मैं अनेकशः उनके कार्योंकी अभिवन्दना करता हूँ और उनके यशस्वी दोघंजीवनकी आकांक्षा करता हूँ उनका कोटिशः अभिनन्दन करता हूँ। राष्ट्र भारतीके सजग प्रहरी • चौधरी शिखरचन्द्र जैन, साहित्यरत्न मंत्री, श्री पार्श्वनाथ जैन मन्दिर ट्रस्ट, रीठी, कटनी
मान्यवर पं० बंशीधरजीने शिक्षा, साहित्य, दर्शन, समाज सुधार और राष्ट्रदेवताकी महती आराधना की है । वे राष्ट्रभारतीके सजग प्रहरी हैं। वे चिरायु प्राप्त कर मानवमात्रके आदर्श रहें। उनका कोटिशः अभिनन्दन करता हूँ। विनयाञ्जलि .५० अमतलाल जैन शास्त्री. दमोह
सरस्वती पुत्र पं० बंशीधरजी व्याकरणाचार्य, न्यायतीर्थ जैनदर्शन एवं संस्कृत साहित्यके अद्वितीय विद्वान हैं । आप जैन समाजमें आद्य व्याकरणाचार्य हैं। आपने अनेक विषयोंका गहन चिन्तन किया है। आपके लेख विद्वद्वर्ग में बड़ो श्रद्धाके साथ पढ़े जाते है । आप आर्षमार्गानुयायी तथा उसके समर्थक विद्वान् हैं । निश्चय व्यवहार और कार्यकारणभावको लेकर आपके जो ग्रन्थ प्रकाशित हुए वे सर्वत्र समादृत हुए हैं ८४ वर्षकी अवस्था में भी आप युवाओंके समान लेखन और चिन्तनमें जागरूक है।
अभिनन्दनकी बेलामें मैं आपके प्रति अपनी विनयाञ्जलि समर्पित करता है।
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