Book Title: Bansidhar Pandita Abhinandan Granth
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bansidhar Pandit Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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श्रद्धेय पण्डितजी : एक परिचय
• पण्डित दुलीचन्द्र जैन, बीना
कुटुम्ब : एक दृष्टि में
श्री बंशीधरजी के पिताजीका नाम पण्डित मुकुन्दीलालजी था । वह तीन भाई थे पण्डित मुकुन्दीलाल जी सबसे छोटे थे । उनसे बड़े नन्नूलालजी और सबसे बड़े चूरामनजी थे ।
श्री चूरामनजीके दो पुत्र अच्छेलालजी और भूरेलालजी थे । अच्छेलालजीके दो पुत्र थे; एक श्री भैयालालजी तथा दूसरे श्री पं० बालचन्दजी, जिन्होंने षट्खण्डागमके सम्पादन और अनुवादका डॉ० हीरालालजीके साथ महत्त्वपूर्ण कार्य किया था । उनका स्वर्गवास अपने पुत्रों (नरेन्द्रकुमार और सुरेन्द्रकुमार ) के पास रहते हुए दिनांक १७-४-८९ को हैदराबादमें हो गया । उनके तीन पुत्र हैं - राजकुमार, नरेन्द्रकुमार और सुरेन्द्रकुमार । राजकुमार ग्वालियर में शासकीय विज्ञान कॉलेज में गणितका प्रोफेसर है। अन्य दोनों पुत्र हैदराबाद में क्रमशः डिप्टी चीफ इन्जीनियर और अपनी फैक्ट्रीके संचालक हैं । भूरेलालजीके दो पुत्र हैं – पं० दुलीचन्द्र (लेखक) और फूलचन्द्र । पं० दुलीचन्द्र बीनामें कपड़ेका व्यवसाय करते हैं व फुलचन्द्र अपनी जन्मभूमि सोंरई (ललितपुर) में व्यापार करते हैं। पं० दुलीचन्द्रका एक पुत्र अशोककुमार है, जो बी० एस० सी, एम० ए०, एल० एल० बी० है । वह सागर युनिवर्सिटी में कुछ समय तक सर्विस करनेके उपरान्त बीनामें ही स्वतन्त्र व्यवसायरत हैं । तथा फूलचन्द्रके भी एक पुत्र है - ऋषभ कुमार, जो एम० काम०, एल० एल० बी० है, और इन्दौर में एक प्राईवेट कम्पनी में कार्यरत हैं ।
श्री नन्नूलालजी के दो पुत्र थे--अयोध्याप्रसादजी व पं० शोभारामजी । पं० शोभारामजीने श्री भा० दि० जैन तीर्थं क्षेत्र कमेटी बम्बईके महोपदेशकका कार्य कई वर्षों तक किया और उसके बाद अनेक स्थानोंकी पाठशालाओं में अध्यापन किया। उनके दो पुत्र हुए- परमेष्ठीदास और सुदेशचन्द्र । परमेष्ठीदासका शादीके छह महीने पश्चात् ही स्वर्गवास हो गया था । उसकी पत्नी पूनाबाई पटेरा ( म०प्र०) में शासकीय कन्या विद्यालयमें अध्यापन कार्य करते हुए रिटायर होकर आजकल पटेरामें ही रह रही हैं । सुदेश चन्द्र एम० ए० (हिन्दी) श्री पार्श्वनाथ दि० जैन गुरुकुल खुरई ( म०प्र०) में व्याख्याता एवं उसकी धर्मपत्नी ताराबाई भी वहीं शासकीय कन्याशाला में अध्यापिका है । उसके तीन पुत्र हैं। वे तीनों इन्जीनियर हैं । उनके नाम हैंअजित और आलोक |
आजाद,
पं० मुकुन्दीलालजी के चार पुत्र हुए। कारेलालजी, पं० हजारीलालजी, छतारेलालजी और प० बंशीधर जी । इनमे आदिके तोन पुत्रोंका स्वर्गवास हो चुका है । कारेलालजोका एक पुत्र था, जिसका नाम हरप्रसाद था । तीन वर्ष पहले उसका देहावसान हो गया। दूसरे पुत्र पं० हजारोलालजी थे, जो स्वयं पण्डित, शास्त्रलेखक और अध्यापक थे । नैनागिर, हडुआ आदि कई पाठशालाओंमें उन्होंने अध्यापन किया था। डॉ० पं० दरबारीलाल कोठिया, न्यायाचार्य उन्हीं के सुपुत्र हैं । पं० मुकुन्दीलालजी के सबसे छोटे सुपुत्र हैं--पं० बंशीधर जो । इन्हीं का यहाँ कुछ परिचय प्रस्तुत है । उसे प्रस्तुत करनेके पूर्व उनकी एकमात्र बहिन गौरा बाईका परिचय दे देना आवश्यक है ।
गौराबाईका सम्बन्ध ग्राम भौड़ी (ललितपुर) में सिंघई पूर्णचन्द्रजी के साथ हुआ था । वह बड़ी दयालु और सौम्यमूर्ति थीं । साथ ही बड़ी निश्छल और वात्सल्यमयी थीं । जब भी कोई रिश्तेदार भौड़ी पहुँचा कि उनकी आँखोंसे स्नेहके आसुओंकी झड़ी लग जाती थी । पं० बंशीधर जी, पं० बालचन्द्रजी और पं० दरबारो
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