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की दवा हो ।
अकोल
श्रजम् R. Br.) (२) कौश्रा, लालरी, घंटी, (IPyrethri Radix.) फॉ० ई० । १० (Livula.)
फॉ००। श्रकौल,-ला ukoul,-la-हिं०, ढेरा, अंकोल ' अका akki-हिं० संवा स्त्री० [सं०] (A
(alaygium ).:Capititlum hun) hot hi') नाता । मां । नोट-संबोधन में अकोस amous अ०.कुबड़ा, कुज, जिसका 2 इस शब्द का रूप "श्र" होता है । ... बाहर निकल आया हो । हकड ( hime:b अक्कार innar-अ० (५० ब०) अनाक्रीर .. backul )-इं० ।
(व०१०) औषधियाँ जड़ी बूटी-हिं० । हर्ष अकं aam-सं) क्ली) संज्ञा दुःख (Pain) (forb.)-२० ! स. फो० ई०। अक् akaitlb-अ० (व०व०), कयूब (प०व०) अक्कारकारम् ॥k kavin-kalam-ते०, ता. ... गुल्फ, टखने वह स्थान जहाँ पर पैर सामने अकरकरा-हिं० (1Pyrethri Radix.)
को और पीछे को मुद्र सकना है (ankles) स० फो० ई० । . अक्रअम् agaum-अ० सपाट (चिपटी) नासिका - अक्काल ak kāl -अ० इसका शानिक अर्थ भक वाला (Flat-hosd)
अर्थात वाजाने वाला है, किन्तु अायुर्वेद की अक इस qansa-अ. उन्नतोदर वाशीय अर्थात .
परिभाषा में उस औषध को कहते है जो अपने वह जिसका वक्षःस्थल बाहर को निकला हो और
तीण एवं भरक गुण की अधिकता के कारण पृड भीतर की दबा हो ।
अवयवों के सार अंशों को नष्ट कर दे। वह
श्रोषधि जो नत कारक एवं गलाने वाले गुण के . नोट--ग्रह दब और अकस का भेद अहन | . .में देखो।
कारण मांस को खा जाय और उसके सार भाग
को सीण कर दे, यथा चूना और हड़ताल । श्र (-) क आद -i-qaad -अ० लुञापन, . करोंसिव (Colosive), एस्कटिक (Eschलंगड़ापन अथवा अवयवों का ऐसा विकार हो।
arotic)-ई । - बैठने को वाध्य करे (Jamess.)। अक़ ऊमा aquni-ऋ० अवमा एक प्रकार का अकिंकरका akkikartuki-मला० चक्षुः क्षत । विशेष कर यह कनिता पूर्वक अरछा किराकारम् ॥kkir akayam-
तारकरा - होना है। यह पपड़ी के समान होता तथा झिल्ली : अकिलाकारम् akkilakāram-मला० ।-हिं० · को खा जाता और नेत्र को विनष्ट कर देना है। (Pythri Radix )-स. फो० इं! अक्कहaaqqa1-फा० या अक (महका पही): फॉ००। अक्कन aqqat-अ० वह उष्ण रात्रि जिसमें अकीaakki-कना०, चावल ( Rice) स० वायु सर्वथा बन्द हो।
फा०1०। नोट-नम्न, रम्जा, सफरह और इह तिदाम् ।
प्रक्रीसागायिalkkisiriyi-कना० चादल की ... इनमें से अकह वायुके रुकने श्रीर उष्णताधिक्य । को कहते हैं । ग़म्मका अर्थ कनि गर्मी है और
दारु-द० । नण्डुल मद्य, चावल की शराब-हिं०।
अरिशशाणायम-ता० । विथ्यमु मासयि-ते। फरत तथा हह ति-दामइसके पर्याय हैं। रज़ा
परिचारायम-मल०। लाइकॉर गेयी कहिन उरणता एवं उत्ताप को कहते हैं
ऑफ राइस जिससे कंकरी श्रादि भी जल ।
(Liquor of Rices)-ई । स० फॉ० अक्कलकरा akkala-kili मह०) -हिं० ।।
ई०। अक्रनाकोkkala.kari कनाशकरकग- अज़म khan- अ० (1) कोताहीनी,, अक्कलाकरो alkala.kari - कना०)
(२) जिसकी नासिका छोटी हो।
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